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भारतीय संवतों का इतिहास
विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न तिथियां अपनायी गयों । माह के आरंभ के लिए अलगअलग तरीके प्रयोग किए गए । शक संवत के माह उत्तरी भारत में पूर्णिमा को समाप्त होते हैं अर्थात पूर्णिमांत हैं। दक्षिण में अमावस्या को समाप्त होते हैं अर्थात अमांत हैं । कहीं चत्र, कहीं भाद्रपद, कहीं कातिक तो कहीं मार्गशीर्ष माह से शक संवत के नये वर्ष का आरंभ किया जाता है। संवतों के प्रयोग की स प्रकार की भिन्नता का मुख्य परिणाम यह रहा कि उत्तर में घटित घटना का दक्षिण-वासियों को और दक्षिण में घटित घटना का उत्तर-वासियों को, समय का जानना कठिन रहा। तथा विदेशियों के समक्ष हमारे अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य इसी कारण झूठे पड़ गए क्योंकि हम उनका सही समय नहीं बता पाए, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर घटनाओं को वणित करने के लिए हमारे पाम गणना पद्धति नहीं थी। क्षेत्रीय राजाओं ने अपने-अपने संवत चलाये । उन्हीं के आधार अपने राज्य का इतिहास लिखवाया किन्तु उनके राज्य से बाहर के लोगों को उनकी गणना पद्धति का ज्ञान नहीं था। अतः वे अनेक घटनाओं के समय से अनभिज्ञ रहे । संवतों की विभिन्नता का एक दुष्परिणाम यह हुआ कि एक ही राष्ट्र में विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों, त्यौहारों व उत्सवों का जन्म हुआ। भारत के लिए एक संवत् की आवश्यकता इसीलिए अधिक है कि यह विभिन्नताओं का देश है। अनेक जातियों में सम्प्रदायों में एकता भाव उत्पन्न करने के लिए अनिवार्य है कि उनके प्रमुख त्योहार व उत्सव साथ-साथ मनाये जायें, राष्ट्रीय स्तर पर मनाये जायें और ऐसा तब ही संभव होगा जब हम राष्ट्रीय संवत को ग्रहण करेंगे।
कलैण्डर एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा दिनों को इस प्रकार एकत्रित व सामूहिक किया जाता है कि वह नागरिक व धार्मिक कृत्यों को करने में सुविधा. जनक महसूस हों, तथा उसके द्वारा ऐतिहासिक व साहित्यिक कार्यों को व्यवस्थित रूप में किया जा सके । पंचांग का विकास कालक्रम के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। दैनिक व्यवहार में पंचांग का प्रयोग दो प्रकार के मानवीय कृत्यों को व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है : १. नागरिक व प्रशासनिक तथा २. सामाजिक व धार्मिक । कलण्डर किसी भी सभ्यता जिसको कि कृषि, व्यापार, घोल या अन्य कार्यों के लिए समय को मापने की आवश्यकता है, के लिए आवश्यक है। संवत रहित घटनाओं का अंकन अधूरा है। जैसाकि हम लिखें"उत्तर प्रदेश सरकार व कर्मचारियों के बीच खुले टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। सरकारी कर्मचारी अपना वेतन बढ़वाने के लिए हड़ताल कर रहे थे।" परन्तु यह सूचना अधूरी हैं, इसमें तिथि अंकित नहीं है। "२२ नवम्बर