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भारतीय संवतों का इतिहास
के साथ उनका सामंजस्य बिठाना व इनके लिए निश्चित तिथि दे पाना इतिहासकारों के लिए एक समस्या बन गया जो आज भारतीय इतिहास की एक ज्वलंत समस्या है । अनेक घटनायें जिनके स्पष्ट प्रमाण हैं तथा जो भारतीय इतिहास को मोड़ देने वाली हैं विश्व के समक्ष आज इसीलिए झूठी सिद्ध हो जाती हैं क्योंकि उनके लिए निश्चित तिथि हमारे पास नहीं है । इतिहास लेखन के लिए संवत् आधारशिला है । भारतीय इतिहास लेखकों ने किसी विशिष्ट व सर्वमान्य संवत को इतिहास लेखन का आधार नहीं बनाया। इसी कारण आज भारतीय इतिहास के संदर्भ में इतनी अधिक विषमतायें हैं। प्रत्येक घटना के सम्बन्ध में अनुमानों के आधार पर ढेरों तिथियां दी जाती हैं। साथ ही इसी कारण भारतीय इतिहास के समालोचक सदैव इस बात का उल्लेख करते रहे हैं कि प्राचीन भारतीयों ने इतिहास लिखते समय तिथि का अंकन आवश्यक नहीं समझा। इससे उनकी इतिहास लेखन के प्रति उदासीनता परिलक्षित होती है।