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विभिन्न सम्वतों का पारस्परिक सम्बन्ध व वर्तमान अवस्था
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दिल्ली से ही 'राष्ट्रीय पंचांग' प्रकाशित होता है। इसका निर्माण राष्ट्र भर में प्रचलित संवतों को मिश्रित कर किया जाता है । हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सभी के त्यौहारों व पर्यों का इसमें उल्लेख रहता है। यह भारत सरकार द्वारा प्रकाशित है। अंग्रेजी, हिन्दू, उर्द, संस्कृत, बंगला, तेलगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, गुजराती, मराठी, असामी इन १३ भाषाओं में प्रकाशित होता है ? परन्तु अभी यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाया है क्योंकि इसके नाम व गणना पद्धति से लोग परिचित नहीं हैं। साथ ही यह बहुत देर से लगभग आधा वर्ष बीतने के बाद प्रकाशित होता है। समय से लोगों तक नहीं पहुंच पाता।
इन सबके अतिरिक्त देश के दूसरे प्रदेशों बंगाल, बिहार व दक्षिण भारत में भी बहुत से पंचांग प्रचलित हैं। ___"ग्रह लाघव व सौर दो प्रकार की पद्धतियां मुख्य रूप से पंचांग निर्माण के लिए प्रयोग की जाती हैं। तीसरा आधुनिक केतकी सिद्धान्त है, जो आचार्य केतकर के नाम पर है। यह सूक्ष्म पद्धति है जो लोग पाश्चात्य पद्धति को महत्व देते हैं वे भारतीय पंचांग पद्धति में इस पद्धति को पसन्द करते हैं।" क्योंकि इसमें सौर पद्धति को महत्व दिया जाता है तथा यह पाश्चात्य पद्धति से मेल खाती है। ___ जो पंचांग जहां प्रचलित है वहीं के क्षेत्रीय प्रचलन व गणित की शुद्धता पर उसकी लोकप्रियता निर्भर करती है । जयपुर, बनारस, गढ़वाल, ग्वालियर, बम्बई, कलकत्ता आदि स्थानों पर वेधशालायें स्थापित हैं अत: यहां से निकलने वाले पंचांग इन्हीं से प्रभावित रहते हैं।
पंचांग के पांच अंग माने जाते हैं। पंचांग का अर्थ-पांच अंगों वाले से है अर्थात् (१) तिथि-जो दिनांक अर्थात् तारीख का काम करती है। (२) वार--अर्थान् रविवार, सोमवार आदि में से कौन-सा दिन । (३) नक्षत्रजो बताता है कि चन्द्रमा तारों के किस समूह में है। (४) योग-जो बताता है कि सूर्य और चन्द्रमा के रेखांशों का योग क्या है। (५) करण-जो तिथि का आघा होता है।"२ इनके साथ ही हिन्दी पंचांगों में अंग्रेजी तारीख, मुस्लिम तारीख (सभी में नहीं) दिनमान (अर्थात् सूर्योदय से सूर्यअस्त तक लगने वाला समय) चन्द्रमा का उदय व अस्त किस समय होगा, आकाश में ग्रहों की स्थिति आदि का भी उल्लेख रहता है।
१. यह जानकारी मुझे मेरठ निवासी श्री लक्ष्मीचन्द अग्रवाल से प्राप्त हुयी। २. गोरख प्रसाद, “सरल गणित ज्योतिष", इलाहाबाद, १६५६, पृ० २६६ ।