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भारतीय संवतों का इतिहास
(४) सूर्य से आगे के संदर्भ का सभी समय भारतीय स्टैण्डर्ड टाइम घंटा
मिनटों में लिखा है जो कि सर्वत्र भारतवर्षोपयोगी है । उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से निकलने वाला एक पंचांग शुद्ध भारतीय पंचांग है। आगरा निवासी शंकरलाल गौड़ इसके गणितकर्ता हैं। इसमें विभिन्न ग्रहों की स्थितियों के साथ ही राजनैतिक भविष्यवाणियां भी की जाती हैं जैसे : “सम्वत् २०४५ बैशाख कृष्ण १२ जुद्धवार दिनांक १३ अप्रैल सन् १९८८ ई० को तोष्टम् ३७/०८ पर सिंह लग्न के २० अंशों पर भुवन भास्कर भगवान सूर्य का एक मेष राशी पर संचार होगा। इससे भारत के विरोधी राष्ट्रों के षड़यन्त्र विफल होंगे। प्रजा में सुख और शान्ति का साम्राज्य रहेगा तथा भारत की एकता और अखण्डता अक्षुण्ण रहेगी।"
मेरठ से ही निकलने वाला दूसरा पंचांग असली लावड़ का पंचांग हैं। इसके वर्तमान गणितकर्ता रविदत्त शर्मा थे। इसमें हिन्दुओं के विभिन्न संस्कारों मुंडन, कर्णछेदन, जनेऊ आदि के लिए शुभ मुहूर्त दिये जाते है। इसके साथ ही दुकान खोलने, यात्रा करने, गृह-प्रवेश, कर्ज देने आदि के लिए भी शुभ मुहूर्त दिये जाते हैं । उत्तरी भारत में पहले यह काफी मान्य था, परन्तु अब मूल गणितकर्ता के स्वर्गवास हो जाने से पंचांग की मान्यता कम हो गयी है । गणित में अशुद्धियां आ गयी है। मुद्रण की काफी अशुद्धियां रहती हैं। अतः अब इस पंचांग की मान्यता घट रही है।
कंडेन्ज्ड अमरीज ऑफ प्लैनेटस पजीशन्ज का निर्माण नारायण पद्धति के आधार पर किया जाता है । यह १० वर्षीय पंचांग हैं, इसके सूक्ष्म रूप पांचवर्षीय व एक वर्षीय भी प्रकाशित होते हैं। इसमें ईसाई सम्वत् के साथ भारतीय सम्बतों को भी लिखा जाता है, जैसे "१९८१ ए० डी०, शक सम्वत् १६०२.३, विक्रम सम्वत् २०३७-३८, बंगाली सन् १३८७-८८, कोल्लम सम्वत् ११५६-५७ ।"
१. "शुद्ध भारतीय पंचांग", गणितकर्ता शंकरलाल गौड़, शक १९१०, ईस्वी
१९८८-८६, प्राक्कथन ।। २. "असली लानड़ का पंचांग", गणितकर्ता रविदत्त शर्मा, मेरठ, शक
१६१०, ईस्वी १९८८.८६, २६ । ३. एन० सी० लाहरी, "कन्डेन्ज्ड अफमरीज ऑफ प्लेनेट्स पजीशन्ज," भाग
सात ए (कलकत्ता : एस्ट्रो रिसर्च ब्यूरो, १९८५), पृ० १० ।