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ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत्
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"सुमतितन्त्र" नामक ग्रन्थ से चन्द्रगुप्त राज्याब्द की तिथि ई० ५७६ में १३२ पता चलती है अर्थात् ५७६- १३२= ४४४ ई० में चन्द्रगुप्त राज्याब्द का आरंभ हुआ । इस संवत् के चन्द्र गुप्त का समीकरण यदि गुप्त वंशी चन्द्रगुप्त द्वितीय से किया जाये तब इस संवत का आरंभ ३७६ ई० से होना चाहिए जो कि लुनिया के अनुसार चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण की तथि है । इस प्रकार चंद्र गुप्त के राज्यारोहग व सुमतितन्त्र के चन्द्र गुप्त राज्याब्द की तिथि मे ६८ वर्षों का अन्तर रह जाता है। इस अन्तर को देखते हुए यही लगता है कि यह गुप्त वंशीय चन्द्र गुप्त नहीं वरन् और कोई चन्द्रगुप्त है, जिसके संवत् का उल्लेख सुमतितन्त्र में हुआ है।
५७६ ई० में शुद्रक देव राज्याब्द की तिथि २४७ दी गई है अर्थात् ५७६२४७=३२६ ई० से शुद्रक देव राज्याब्द का आरंभ हुमा माना जा सकता है । इस नाम के किसी प्रतिष्ठित शासक का उल्लेख ३२६ ई० के करीब के इतिहास से नहीं मिलता है । अनुमानतः यह कोई क्षेत्रीय शासक रहा होगा, जिसने इस संवत की स्थापना की।
कुमाऊं क्षेत्र में प्रचलित अनेक संवतों के साथ ही श्री झुले लाल जयन्ती व श्री गुरु नानक जयन्ती के कुल व्यतीत वर्षों का उल्लेख किया जाता है । इनकी गणना भी महावीर व बुद्ध जमन्ती की भांति एक संवत के रूप में ही की जाने लगी है यद्यपि इनके नाम के साथ अभी संवत शब्द नहीं जुड़ा है।
"श्री झूले लाल जयन्ती १०३६, जो विक्रम संवत् २०४३ तथा शक १६०८ के बराबर है।"२ अर्थात् १९८६ ई० के बराबर है । इस प्रकार इसका आरंभ ६५० ई० से हुआ। __"श्री गुरू नानक जयन्ती ५१७, जो विक्रम संवत २०४३ व शक संवत १९०८ के बराबर है ।" अर्थात् १९८६ ई० के बराबर है । इस प्रकार इसका आरंभ १४६६ ई० से हुआ।
१. बी०एन० लुनिया, "गुप्त साम्राज्य का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास",
इन्दौर, १९७४, पृ० २६०-६१ । २. नव वर्ष मंगलमय हो, "नव वर्ष बधाई पत्र", विश्व हिन्दू परिषद् कुमाऊं
विभाग, विक्रम संवत २०४३, शालीवाहन संवत १६०८ । ३. वही।