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भारतीय संवतों का इतिहास
के प्रचलन के लिए नहीं लिया जा सकता क्योंकि किसी भी क्षेत्र विशेष के सभी लोगों द्वारा इसका प्रयोग नहीं हो रहा है, बल्कि इस संदर्भ में यही कहना उचित है कि जहां भी देश भर में जैन धर्म के अनुयायी हैं उनके द्वारा इस सम्वत् का प्रयोग अपने धार्मिक कृत्यों के लिए किया जाता है।
__ महावीर निर्वाण सम्वत् का वर्तमान चालू वर्ष २५१५-१६ है जो ई० सन् १९८६, विक्रम २०४६, शक १६११, श्री कृष्ण जन्म सम्वत् ५२२५, मोहम्मद हिज्री १४०६-१० के बराबर है।
जैन सम्प्रदाय के 23वें तीर्थीकर वर्तमान महावीर के परिनिर्वाण की तिथि प्राचीन भारतीय इतिहास की दूसरी घटनाओं की तिथि निश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार स्तम्भ के रूप में ग्रहण की जाती है । इसी तिथि से जैन सम्प्रदाय के धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महावीर निर्वाण सम्वत् ग्रहण किया जाता है तथा यह सम्वत् अन्य दूसरी घटनाओं का समय निश्चित करने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक है। ऐसा माना जाता है कि महावीर का परिनिर्वाण शकों के उज्जयिनी क्षेत्र में पहली बार प्रवेश के ४६१ वर्ष पहले, विक्रम सम्वत् के आरम्भ होने से ४७० वर्ष पहले, शक सम्वत् के आरम्भ होने से ६०५ वर्ष तथा ५ माह पहले तथा प्रथम कल्कि के युग के १००० वर्ष पहले हुआ।
महावीर के निर्वाण की दो महत्वपूर्ण तिथियां प्राप्त होती हैं । "श्वेताम्बर सम्प्रदाय महावीर के निर्वाण की तिथि विक्रम से ४७० वर्ष पूर्व अर्थात् ५२७ ई० पूर्व मानते हैं । लेकिन दिगम्बरों के अनुसार यह तिथि विक्रम से ६०५ वर्ष पूर्व अर्थात् ६६२ ई० पूर्व है। इस प्रकार ठीक १३५ वर्षों के अन्तर वाली दो तिथियां प्राप्त होती हैं। इस प्रकार शक सम्वत् से ६०५ वर्ष पूर्व व विक्रम से ४७० वर्ष पूर्व वाली तिथि हैं। कनिंघम ने इसी त्रुटि की ओर संकेत किया है। उनके अनुसार "दिगम्बरों द्वारा दी गई तिथि सम्भवतः ६०५ विक्रम न होकर शक होनी चाहिए तब दोनों तिथियों का सामंजस्य हो सकता है"।२ इसी संदर्भ में उन्होंने आगे लिखा है : "मैंने इस सम्बन्ध में उत्तरी भारत के जैन विद्वानों से पूछताछ की और प्रत्येक का यही उत्तर रहा कि यह तिथि विक्रम से ४७० वर्ष पूर्व की है"।
१. एलग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६,
पृ० ३७ । २. वही। ३. वही।