________________
धर्मं चरित्रों से सम्बन्धित सम्वत्
ने कुछ अभिलेखों को जो इसकी आरम्भिक शताब्दी के करीब के हैं, हिज्री की तिथि में ही अंकित माना है । लेकिन इस मत की आलोचना डा० डी० सी० सरकार ने की है तथा इन लेखों को हिन्री सम्वत् की तिथि में अंकित न मानकर हर्ष सम्वत् की तिथि में अंकित माना है ।'
७३
मोहर्रम मास से वर्ष का आरम्भ होता है । अरब, ईरान, ईराक आदि में यह राजकीय सम्वत् हैं । खाड़ी के देशों सीरिया, जोर्डन, मोरक्को आदि में ईस्वी सम्वत् के साथ-साथ मुस्लिम सम्वत् का भी प्रयोग किया जाता है ।
यद्यपि भारत में यह सम्वत् लोकप्रिय नहीं हो पाया, लेकिन कई शताब्दियों तक प्रशासनिक तथा धार्मिक कार्यों के लिए इसका प्रयोग किया गया। आज भी हिन्दुस्तान भर में जहां भी इस्लाम के अनुयायी बसते हैं, वे अपने धार्मिक कृत्यों के लिए हिज्री सम्वत् का ही प्रयोग करते हैं । भारत की उत्तरी-पश्चिमी सीमा तक इस सम्बत् का प्रयोग विशेषरूप से किया जाता है । यूरोपियन नक्षत्रविदों के अनुसार " मुसलमानों का चान्द्र वर्ष जो ३५४, ११/३० या ३५४.३६६ दिन का होता है, वह ३६५.२५ दिन के जुलियन सौर वर्ष का ०.६७०२०२वां होता है ।"" किन्तु यह सामान्य त्रुटि है जो अधिकांश सम्वतों में रहती है तथा इसके लिए वर्षो बाद लौंद का वर्ष रखा जाता है । हिज्री के ३० वर्षीय चक्र में भी निश्चित वर्ष है, जो लोंद के होते हैं, जिनमें वर्ष ३५४ दिन के स्थान पर ३५५ दिन का होता है । इसमें शुक्रवार का विशेष महत्त्व है । इसी दिन से वर्ष का आरम्भ होता है ।
हिज्री सम्वत् का वर्ष पूर्ण रूप से चन्द्रीय पद्धति पर आधारित होने के कारण अन्य सौर अथवा चन्द्र सौर ( ईसाई व हिन्दू) सम्वत् के वर्ष से १० दिन छोटा रहता है । अतः निरन्तर वह अन्य पंचांगों से घटता जा रहा है । इस समय को पूरा करने तथा अन्य पंचांगों के साथ इसका सामंजस्य बिठाने के लिए कोई नियम अथवा पद्धति इस्लाम गणना पद्धति में नहीं दी गयी है । लौंद के वर्ष में ३५४ के स्थान पर ३५५ दिन का वर्ष होता है, जो चन्द्रीय चक्र को ही पूरा
१. डी० सी० सरकार, 'हर्षाज एक्शेसन एण्ड एरा', "आई० एच० क्यू० ", १५३, पृ०७२-७६ ।
२. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६, पृ० ६६ ।
३. “इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनका", वोल्यूम-तृतीय, टोक्यो, १९६७, पृ० ६०० ।