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भारतीय संवतों का इतिहास
धर्म व सम्प्रदाय के लोग बसते हैं तथा विक्रम सम्बत् को हिन्दुओं का धार्मिक सम्बत् माना जाता है अत: आनुनिक भारत के लिये विक्रम सम्वत् का वर्तमान स्वरूप राष्ट्रीय सम्वत् का स्थान पाने योग्य नहीं रह गया है । इस सबके अतिरिक्त सहस्त्राब्दियों के अन्तराल ने विक्रम सम्वत् में भी अन्य सम्वतों की भांति त्रुटियां उत्पन्न कर दी हैं। इस सं० को राष्ट्रीय सम्वत् का स्थान देने में बाधा यह भी है कि कभी भी खगोलशास्त्र में इसका प्रयोग नहीं हुआ। खगोलशास्त्रियों द्वारा प्रयुक्त सम्बत् शक सम्वत् रहा, विक्रम सम्वत् का प्रयोग खगोलशास्त्रियों ने नहीं किया । अतः राष्ट्रीय सम्बत् के रूप में विक्रम सम्वत् को स्वीकारने के लिये उसमें खगोलशास्त्रीय अध्ययन द्वारा सुधार की आवश्यकता
भारत में नया साल होली से १५ दिन बाद मनाया जाता था। ये १५ दिन होली व नये साल के बीच सम्भवतः इसीलिये रखे गये ताकि राजा फसल का अनुमान लगा ले तथा उसी के आधार पर नये वर्ष का बजट बना ले। दुर्गा पूजा से वर्ष का आरम्भ होता है तथा यह नवरात्री दुर्गा पूजा का त्यौहार सम्पूर्ण राष्ट्र में मनाया जाता है जो राष्ट्रीय एकता की भावना को दिखाता है। पहले इस अवसर पर यज्ञ और बली भी दी जाती थी। यह वह समय माना जाता था जबकि भविष्य में समृद्धि के लिये प्रार्थना की जाये व पुराने वर्ष की बुराईयों को भुला दिया जाये। होली जलाना भी इसी बात का प्रतीक है। आज भी इन त्योहारों की मान्यता वैसी ही बनी हुई है।
यह सम्बत् जिसे आजकल विक्रम सम्वत् के नाम से जाना जाता है चन्द्रीय चैत्र के शुक्ल पक्ष से आरम्भ होता है। यह शुरूआत वैज्ञानिक सिद्धान्तों या खगोल शास्त्र की अन्य पुस्तकों जोकि विभिन्न समय पर लिखी गयी हैं लेकिन जिनमें कोई भी ४६६ ए० डी० से पहली नहीं है, के आधार पर हैं। इतिहास लेखन व साहित्य में भी विक्रम सम्वत् का प्रयोग हुमा है । वर्तमान समय में यह धार्मिक कृत्यों के लिये व्यापक रूप में प्रयुक्त है।
शक सम्वत् अभिलेखों में इस सम्बत् के लिये शक, शकनृप संवत्सरा, शकनृपति, संवत्सरा, शक नृपति राज्याभिषेक संवत्सरा, शकनप कालातीत संवत्सरा, शकेन्द्र काल, शक काल, शक समय, शकाब्द, शकाब्दे, शक सम्वत्. शक शालीवाहन, शालीवाहन निरमिता, शक वर्षा आदि नामों का प्रयोग किया गया है । इस सम्वत् ने भारतीय जन मानस में सर्वाधिक उच्च स्थान पाया। यह तीन प्रमुख स्तरों से होकर गुजरा। प्रथम अवस्था, जिसे पुराना शक सम्वत् कहा जाता है