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भारतीय संवतों का इतिहास
की पुष्टि होनी है तथा गुप्त संवत् के आरम्भ की तिथि ३१९ ई० आती है । (३) मोरवी की ताम्रपत्र तिथि ५८५ गुप्त संवत् है । इसी वर्ष फाल्गुन शुदी पंचमी में सूर्य ग्रहण पड़ा था अतः संवत् की तिथि ९०५ – ५८५= ३२० ई० सिद्ध होती है । ( ४ ) तेजपुर शिलालेख में कामरूप के शासक हज्जर वर्मन के शासक की तिथि गुप्त संवत् ५१० उत्कीर्ण है । कामरूप के शासकों का क्रम इस प्रकार हैं - भास्कर वर्मा, शालस्तम्भ, इसके बाद नवीं पीढ़ी में हज्जर वर्मन भास्कर वर्मा हर्ष का समकालीन था । इसकी मृत्यु लगभग ६५० ई० में हुई । भास्कर वर्मा और हज्जर वर्मा के बीच ६ पीढ़ियां आयीं । यदि प्रत्येक पीढ़ी के लिए लगभग २० वर्ष का काल मान लिया जाये तो ६ पीढ़ियों का काल १८० वर्ष हुआ । अतः हज्जर वर्मन का काल ६५० + १८० = ८३० ई० हुआ । हज्जर वर्मन का लेख ५१० गुप्त संवत् का है । अतः गुप्त संवत् की स्थापना लगभग ८३०–५१०= ३२० ई० में हुयी होगी । (५) जिनसेन नामक जैनाचार्य ने ७०५ शक संवत् में हरिवंश पुराण की रचना की। यह ७०५ + ७८ = ७८३ ई० में हुई । इस ग्रंथ में लिखा है कि भट्टवाण कुल के लोग २४० वर्ष तक राज्य करेंगे तथा उसके बाद २३१ वर्ष तक गुप्त वंश के लोग राज्य करेंगे । इस प्रकार गुप्त वंश के संवत् की स्थापना का काल ७८३ - २३१-२४०=३१२ ई० बैठता है । परन्तु विद्वानों का अनुमान है कि गुप्त वंश ने २२४ वर्ष राज्य किया न कि २३१ वर्ष, जैसाकि हरिवंश पुराण में लिखा है । यदि हरिवंश पुराण की यह ७ वर्ष की भूल सुधार ली जाये तो फिर गुप्त संवत् की तिथि ३१६ ई० होगी । (६) जैनाचार्य वृषभ द्वारा लिखित, तिलोम पण्णति नामक ग्रंथ के अनुसार गुप्तों का उदय भट्ट बाणों के २४० या २४१ वर्ष पश्चात् हुआ । भट्टवाणों का समीकरण शकों से किया गया है । इस प्रकार गुप्तों का उदय २४१+७८=३१६ ई० में हुआ । यही गुप्त संवत् के आरम्भ की तिथि है । (७) मालव के मन्दसौर अभिलेख में मालव संवत् व विक्रम सम्वत् को एक ही माना गया है । इस प्रकार ये दो तिथियां ४६३ ५७=४३६ ई० तथा ५२६ – ५७ = ४७२ ई० हुयी । मन्दसौर अभिलेख से यह भी विदित होता है कि कुमार गुप्त प्रथम के शासन काल में ११७ गुप्त संवत् में एक सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ । उसी अभिलेख के दूसरे भाग में यह भी कहा गया है कि कुमार गुप्त द्वितीय के शासनकाल में ही १५३ गुप्त संवत् में उस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था । इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि हम मान लें कि गुप्त संवत् की स्थापना ३१६ ई० में हुयी तो मन्दसौर की कुमार गुप्त प्रथम की गुप्त संवत् की तिथि ११७ + ३१६= ४३६ ई० हो जाती है । यह मन्दसौर अभिलेख में दी गयी मालव संवत् की तिथि ४९३ – ५७ =४३६ ई० आती है जिसमें सूर्य मंदिर निर्माण की तिथि ११७ गुप्त संवत् घटाने पर ३१९ ई० तिथि आती है जो दूसरे साक्ष्यों से पुष्ट है । चन्द्रगुप्त प्रथम द्वारा
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