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ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत्
उसकी अधिकांश तिथियां हर्ष संवत् से ही मेल खाती हैं ।' अन्त में डी०सी सरकार लिखते हैं: "इस प्रकार भारतीय परम्पराओं में हर्ष ने विक्रमादित्य के समान ही सवत् का प्रचलन किया। मैं कोई कथनीय तथ्य नहीं पाता जिससे प्रचलित धारणा कि ६०६ ई० में हर्ष थानेश्वर की गद्दी बैठा, तथा ६१२ ई० में कन्नोज में राजधानी बनायी तथा संवत् का आरम्भ किया, की आलोचना की जा सके । अत: ६०६ ई० में ही हर्ष सिंहासनारूढ़ हुआ व संवत् की स्थापना की ।"२
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अपने दूसरे लेख में भी सरकार ने मजूमदार द्वारा हर्ष संवत् के सन्दर्भ में उठाये गये आक्षेपों का खण्डन किया है । इस संदर्भ में सरकार ने लिखा है"मजूमदार हर्ष संवत् के सम्बन्ध में बौद्धिक तथा उचित तर्कों को सुनने के लिये भी तैयार नहीं हैं, जो अल्बेरूनी के है । "५ इस प्रकार डी०सी० सरकार ने मजूमदार की समस्त शंकाओं का समाधान करते हुये पूर्ण विश्वास के साथ हर्ष के राज्यारोहण ६०६ ई० के साथ संवत् स्थापना का मत स्वीकार किया है । सरकार के मत के समर्थन में और भी बहुत से साक्ष्य दिये जा सकते हैं। सी० मोबेल डफ ने हर्ष संवत् के आरम्भ के सम्बन्ध में निम्न तिथि दी है - ६०६ ई० अक्टूबर २२, इस दिन थानेश्वर के राजा हर्ष वर्धन ने अपना संवत् आरम्भ किया । शक संवत् में इसकी गणना करने पर, जो चैत्र शुदी से आरंभ होता है यह तिथि, शुक्रवार दिनांक ३ मार्च ६०७ ई० आती है । कन्नौज के राजा भोज का एक लेख मिला है, जो इसी संवत् का समझा जाता है और वर्ष २७६ का है जिसे ६०६+२७६ = ८८२ ई० का कहा जा सकता है ।" दूसरे विद्वानों द्वारा अल्बेरुनी के विवरण
"आई०एच०क्यू०",
१. डी०मी० सरकार, 'हर्षाज एक्सेंशन एण्ड द हर्ष एरा',
वोल्यूम २६, १९५१ कलकत्ता, पृ० ३२४ ॥
२. वही, पृ० ३२५ ।
३. वही, १६५३, पृ० ७२-७६ ॥
४. आर०सी मजूमदार, 'हर्ष एरा', 'आई०एच०क्यू०", वोल्यूम २८, १६५२,
कलकत्ता, पृ० २८ ।
५. डी०सी० सरकार, 'हर्षाज एक्सेंशन एण्ड एरा', "आई०एच०क्यू", वोल्यूम २६, १९५३, कलकत्ता, पृ० ७६ ।
६. सी० मोबेल डफ, "द क्रोनोलॉजी ऑफ इण्डिया", भाग १, वाराणसी,
१७५, पृ० ।
७. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६, पृ० ६४ ।