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ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत्
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क्योंकि संवतों के साथ उनके प्रवर्तकों के पूरे नाम ही जुड़े रहते हैं । तीसरी बात यह है कि यदि यह संवत् जयसिंह ने चलाया होता तो इसकी प्रवृत्ति के पीछे उसके एवं उसके वंशजों के शिलालेखों तथा दानपत्रों में मुख्य संवत् यही होना चाहिए था। परन्तु ऐसा न होना यही बतलाता है कि यह संवत् जयसिंह का चलाया हआ नहीं है । काठियावाड़ से बाहर इस संवत् का कहीं प्रचार न होना भी साबित करता है कि यह संवत् काठियावाड़ के सिंह नाम के किसी राजा ने चलाया होगा, जिसका नाम उसके साथ जुड़ा हुआ है। कनिंघम गुजरात के प्रायद्वीप के जैन राजाओं की निष्कासन की तिथि से इस संवत् का आरम्भ मानते हैं। सी० मोबल डफ १६ मार्च, १११३ ई० अथवा ११६६ विक्रम संवत् गुजरात के शिव सिंह संवत् के आरम्भ की तिथि मानते हैं ।
मांगरोल की सोढ़डी वाव (बाबड़ी) के लेख में विक्रम संवत् १२०२ और सिंह संवत् ३२ आश्विन बदि १३ सोमवार लिखा है जिससे विक्रम संवत और सिंह संवत् के बीच का अन्तर १२०२-३२ = ११७० आता है।
चौलुक्य राजा भीमदेव के दान पत्र में विक्रम संवत् १२६६ और सिंह संवत् ६६ मार्गशिर शुदि १४ गुरुवार लिखा है। इससे विक्रम संवत और सिंह संवत के बीच का अन्तर १२६६-६६=११७० आता है।
चौलुक्य अर्जुनदेव के समय के वेरावल के ४ संवत् वाले शिलालेख में विक्रम संवत १३२० और सिंह संवत् १५१ आषाढ़ कृष्ण १३ लिखा है। उक्त लेख का विक्रम संवत् १३२० कार्तिकादि है इसलिए चैत्रादि और आषाढ़ादि १३२१. होगा जिससे विक्रम संवत और सिंह संवत के बीन का अंतर (१३२११५१) ११७० ही आता है। __ इस संवत के अधिकांश लेख काठियावाड़ से मिले हैं। इस संवत् का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल १ (अमांत) से है और इसका सबसे पिछला लेख सिंह संवत् १५१ का है । कलेण्डर सुधार समिति द्वारा पिह संवत के आरम्भ की तिथि १११३ ई० दी गयी है जो कि पूर्णतया चन्द्रसौर्य पद्धति पर आधारित है । माह अमान्त है । इसका आरम्भ जय सिंह सिद्धराज ने किया। डा० त्रिवेद ने भी
१. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियम एराज", वाराणसी, १९७६,
पृ० ८१ । २. सी० मोबेल डफ, "द क्रोनोलॉजी ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७५,
पृ० १३६ । ३. "रिपोर्ट ऑफ दी कलण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ ।