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भारतीय संवतों का इतिहास अकबर द्वारा आरंभ किये गये इस संवत को दूसरे मुगल बादशाहों ने भी ग्रहण किया। "बाद में अन्य मुगल बादशाहों ने भी इस परिपाटी को जारी रखा।"
राज-शक संवत् मराठा शासक शिवाजी ने अपने राज्यारोहण के समय "राज्याभिषेक शक" नामक संवत का सूत्रपात किया। "राज्याभिषेक संवत्" को दक्षिणी लोग "राज्याभिषेक शक" या "राज्य शक" कहते हैं। मराठा राज्य के संस्थापक प्रसिद्ध शिवाजी के राज्याभिषेक के दिन अर्थात् गत शक संवत १५६६ (गत चैत्रादि विक्रमी संवत १७३१) आनन्द संवत्सर ज्येष्ठ शुक्ला १३ (तारीख जून ईस्वी संवत १६७४) से चला था। इसका वर्ष ज्येष्ठ शुक्ला १३ से पलटता था और वर्तमान ही लिखा जाता था। इसका प्रचार मराठों के राज्य में रहा ।"२
इसको "राज-शक" तथा "राज्याभिषेक शक" दोनों नामों से जाना जाता है । इसके साथ "शक" का प्रयोग एक संवत का द्योतक है। "शक संवत्" विशेष से यह संबंधित नहीं है। रोबर्ट सीवैल, एल०डी० स्वामी पिल्लयो', जदुनाथ सरकार, तथा ग्राण्ट डफ आदि विद्वानों ने राजशक संवत के आरंभ के लिए १६७३-७४ ई० की तिथि का समर्थन किया है। यही तिथि शिवाजी के राज्याभिषेक के लिए मान्य है। शिवाजी के राज्य महाराष्ट्र में इसका प्रचलन रहा तथा शिवाजी के शासन काल व उसके काफी वर्षों बाद तक भी संवत् का प्रयोग किया गया। परन्तु अब यह प्रचलन में नहीं है। इसको शिवाजी के राज्याभिषेक का वर्ष माना है। शिवाजी के राज्यारोहण १६७३
१. कपिल भट्ट "कादम्बनी" (हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकाशन) दिल्ली, अप्रैल,
१९८६, पृ० ८८ । २. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर,
१६१८, पृ० १८६-८७ । ३. रोबर्ट सीवल, "द इण्डियन कलेण्डर", लन्दन, १८९६, पृ० ४७ । ४. एल.डी. स्वामी पिल्लयी, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", मद्रास, १६११,
पृ० ४५। ५. जदुनाथ सरकार, "शिवाजी और उनका काल", (अनु० मदन लाल जैन),
आगरा, १९६४, पृ० ४०३ । ६. ग्राण्ट डफ, "मराठों का इतिहास", (अनु० कमलाकर तिवारी), इलाहाबाद,
१६६५, पृ० १५३ ।