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भारतीय संवतों का इतिहास सेन की मृत्यु लक्ष्मण सेन के जन्म के समय ही बताता है तथा मिनहाज के अनुसार लक्ष्मण सेन १११६ ई० में जन्म के तुरन्त बाद राजा बन गया था। इन दो विरोधी तत्वों का समाधान गौरी शंकर ओझा के कथन से हो जाता है जिसके लिए वे "लघु भारत" नामक संस्कृत ग्रंथ का उद्धरण देते हैं । ओझा का कहना है कि इस ग्रंथ से हमें यह पता चलता है कि बल्लाल सेन के मिथिला की चढ़ाई में मर जाने की अफवाह ही फैली थी और इसी समय लक्ष्मण सेन का जन्म हुआ। अतः संभव है कि बल्लाल सेन की मत्यु की अफवाह से ही लक्ष्मण सेन का राज्याभिषेक कर दिया गया हो और अपने पुत्र के जन्म की खबर पाकर मिथिला में बल्लाल सेन ने पुत्र-जन्म की खुशी में यह नया संवत् चलाया हो ।'
इन विरोधी तथ्यों को देखकर यही कहा जा सकता है कि लक्ष्मण सेन का राज्याभिषेक बल्लाल सेन की मृत्यु की खबर फैलने के कारण जन्म के साथ ही कर दिया गया और बल्लाल सेन ने इसी समय नया संवत् भी आरंभ कर दिया किन्तु बल्लालसेन जीवित था अतः राजा वही रहा । परन्तु इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि लक्ष्मणसेन का जन्म १११६ में हुआ और उसको राजा ११७६ मे बनाया गया जबकि उसकी उम्र ६० वर्ष हो चुकी होगी । तब क्या इतने वर्षों तक वह मात्र राज्य-प्रत्याशी ही बना रहा जबकि उसका राजतिलक हो चुका था?
वास्तविक शासन अधिकार प्राप्ति की तिथि चाहे जो भी हो संवत् आरम्भ के सन्दर्भ के दृष्टिकोण से लक्ष्मण सेन के जन्म की तिथि ही महत्वपूर्ण है क्योंकि संवत् आरंभ का संबंध जन्म की घटना से है । अत: १११६ ई० को ही लक्ष्मण सेन संवत् के प्रारम्भ के लिए उचित मानना चाहिये।
लक्ष्मण सेन संवत् का आरम्भ लक्ष्मण सेन की मृत्यु के समय हुआ-इस मत का प्रतिपादन ए० कनिंघम ने किया है : "इस संवत् की स्थापना लक्ष्मण सेन की मृत्यु पर हुई जो बंगाल के राजा बल्लाल सेन का पुत्र था।"२ कनिंघम के वर्णन का आधार संभवतः अल्बेरूनी का भारतीय संवतों के सन्दर्भ में अपनाया गया रुख है । अल्बेरूनी गुप्त संवत् का आरम्भ गुप्त वंश की समाप्ति से बताता है
१. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर,
१९१८, पृ० १८४ । २. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १९७६,
पृ० ७६।