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भारतीय संवतों का इतिहास
नेवार (नेपाल) सम्वत् "नेवार" शब्द "नेपाल" का क्षेत्रीय अपभ्रंश रूप है। अभिलेखों में जहां इस सम्वत् को सामान्य रूपेण प्रयुक्त शब्द सम्वत् से अभिहित नहीं किया गया वहां इसके लिए "नेपाल वर्ष", "नेपाल सम्बत्" तथा "नेपाल अब्द" शब्दों का प्रयोग हुआ है । इस सम्वत् का प्रचलन नेपाल में हुआ। इस क्षेत्र के राजाओं ने सिक्कों पर भी इस सम्वत् का अंकन किया ।
इस सम्वत् के संदर्भ में नेपाली वंशावलियों तथा शासकों की सूची से जानकारी मिलती है । डा. भगवान लाल इन्द्रजी को नेपाल से जो वंशावली मिली, उससे पाया जाता है कि दूसरे ठाकुरी वंश के राजा अभयमल्ल के पुत्र जयदेव मल्ल ने नेवार सम्वत् चलाया। उसने कांतिपुर और ललितपट्टन पर राज्य किया और उसके छोटे भाई अनंद मल्ल ने भक्तपुर बसाया और वह वहीं रहा ।
शिलालेखों और पुस्तकों में इस सम्वत् के साथ दिए हए मास, पक्ष, तिथि, वार, नक्षत्र आदि की गणितीय जांच के आधार पर ईस्वी सम्वत् ८७६ तारीख २० अक्टूबर अर्थात चैत्रादि विक्रम सम्बत् ६३६ कार्तिक शुक्ल एक से इस सम्वत का आरम्भ होना निश्चय किया है। इससे गत नेपाल सम्वत् में ८७८७६ जोड़ने से ईस्वी सम्वत् और ६३५-३६ जोड़ने से विक्रम सम्वत् होता है। इसके महीने अमांत हैं और वर्ष बहुधा गत (व्यतीत) लिखे मिलते हैं । यह सम्वत नेपाल में प्रचलित था । नेवार सम्वत् के प्रारम्भ के लिए उपरोक्त तिथि को अनेक विद्वानों ने माना है जैसे—रोबर्ट सीवैल,२ एल०डी० स्वामी पिल्लयी, डा० डी०एस० त्रिवेद आदि । डा० भगवान लाल इन्द्र जी को प्राप्त हुई नेपाल वंशावली में जयदेव मल्ल द्वारा नेपाल सम्वत् का चलाना लिखा है । जिस समय जयदेव मल्ल और आनंद मल्ल का नेपाल पर संयुक्त शासन था उसी समय कर्नाटक वंश को स्थापित करने वाले नान्यदेव ने दक्षिण से आकर नेपाल सम्वत्
१. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर,
१६१८, पृ० १८१ । २. रोबर्ट सीवैल, "द इण्डियन कलेण्डर", लन्दन, १८६६, पृ० ४५-४६ । ३. एल. डी. स्वामी पिल्लयी, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", मद्रास, १९११,
१० ४५। ४. डी०एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० ३८ ।