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ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत्
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का ६६३+१९८६-१५५६=१३६६वां वर्तमान चालू वर्ष है। कलेण्डर रिफोर्म कमेटी की रिपोर्ट में यह कहीं नहीं दिया गया है कि बंगाली सन् का आरंभिक वर्ष क्या था ? १५५६ तक हिज्री ६६३ वर्ष बीत चुके थे इनको कुल व्यतीत ई० संवत् के वर्षों के साथ जोड़कर उसमें से १५५६ घटा दिया गया है व वर्तमान चालू वर्ष निकालने का तरीका बताया गया है । इसका कोई उल्लेख नहीं है कि १६५६ ई० तक ६६३ व्यतीत वर्ष तत्कालीन पंचांगों के आधार पर दिये गये हैं या इसका कोई आरम्भिक वर्ष निश्चित किया गया है ।
इस सिद्धान्त की सबसे बड़ी भूल है कि चन्द्रीय वर्षों को सौर वर्षों के साथ जोड़ दिया गया है जो कि अनुचित है। वर्षों की कुल संख्या बताने के लिए उनका एक ही पद्धति का होना आवश्यक है या चन्द्रीय वर्षों को सौर वर्षों में बदला जाये या सौर वर्षों को चन्द्रीय वर्षों में । तब उनके कुल योग को बताया जाना चाहिए था। इस सिद्धान्त में ऐसा नहीं किया गया है। ऐसा न किये जाने से समस्या यह आती है कि अब १९८६ ई. तक बंगाली संवत् के व्यतीत वर्षों को जो कि १३६६ है न तो चन्द्रीय गणना का कह सकते हैं और न ही सौर गणना का । अर्थात् बंगाली सन के कुल व्यतीत वर्षों को किस पद्धति का माने कि बंगाली सन् की कारम्भिक तिथि ज्ञात हो सके, यह समस्या सामने आती है।
राष्ट्रीय पंचांग में बंगाली सन् का वर्तमान प्रचलित वर्ष १३६६ (१४ अप्रैल सन् १९८६ ई. से आरम्भ) दिया गया है । इसमें बंगाली सन् की गणना उसी पद्धति से की गयी है जो ऊपर कलेण्डर सुधार समिति की रिपोर्ट के अनुसार दी गयी है । अतः भले ही पंचांग इस संवत् के प्रचलित वर्ष का अंकन करे, लेकिन जब तक संवत् के आरम्भ की तिथि व वर्ष निश्चित नहीं कर लिए जाते तब तक यह संख्या विश्वसनीय नहीं मानी जा सकती।
बंगाली सन के आरम्भकर्ता के रूप में किसी व्यक्ति विशेष के नाम का उल्लेख नहीं मिलता। इससे यही तात्पर्य लगाना चाहिए कि अपने आरंभिक वर्षों में यह गणना पद्धति के रूप में प्रचलित हआ। शनैःशनै: इसमें सुधार होते रहे । तदुपरान्त इसको एक संवत् के रूप में पंचांगों में ग्रहण कर लिया गया। किसी विशिष्ट घटना व किसी व्यक्ति विशेष ने इसका आरम्भ नहीं किया।
१. "राष्ट्रीय पंचांग", भारत सरकार, द कन्ट्रोलर ऑफ पब्लिकेशन्स, दिल्ली,
१९८६-६०, भूमिका, ६।