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ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत्
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हैं। ई० पूर्व ३२३ में सिकन्दर का देहान्त होने पर उत्तराधिकारी के अभाव से उसके सेनापतियों में राज्य के लिए संघर्ष हुआ। अन्त में तीन राज्य कायम हुये : मसिडोनिया, मिस्र और सीरिया। सीरिया का स्वामी सैल्यूकस बना, इसी को सैल्यूसीडियन सम्वत का आरम्भकर्ता माना जाता है । उलघबेग ने सिकन्दर की मृत्यु के १२ वर्ष पश्चात् अर्थात् मौहम्मद के हिज्री सम्वत १६ जुलाई, ६२२ ई० के ३४०७०० दिन पूर्व इस सम्वत् का आरम्भ माना है, इस प्रकार उलूघ के अनुसार ३ अक्टूबर, ३१२ ई० पूर्व में सम्वत् का आरम्भ हुआ। तीसरी गणना सिकन्दर की मृत्यु के १२ वर्ष पश्चात् जिसमें मृत्यु की तिथि नहीं दी गयी है (नवोन्सार के ४२५वें वर्ष अर्थात् १२ नवम्बर, ३२४ ई० पूर्व को मानी जाती है) इसके अनुसार इस सम्वत् का आरम्भ ३१२ ई० पूर्व के प्रायः अन्त में आता है। इन विभिन्न विचारों का उल्लेख करते हुए कनिघम ने लिखा है : "वास्तव में सम्वत् सैल्यूकस द्वारा सेनापति निकानोर की हार से आरम्भ हुआ। इस प्रकार इससे भी इस सम्वत् का आरम्भ ३१२ ई० पूर्व बैठता है। इसके अतिरिक्त अनेक सिक्कों से भी इसका उल्लेख मिलता है।"
उपरोक्त उद्धहरणों से इतना तो निश्चित है कि सैल्यूसीडियन सम्वत् किसी-न-किसी रूप में सैल्यूकस से सम्बन्धित था। डा० त्रिवेद जोकि इस सम्वत् का आरम्भकर्ता समुद्र गुप्त को मानते हैं, ने भी इस बात को स्वीकार किया है । ओझा ने स्वयं सैल्यूकस को ही सम्वत् आरम्भकर्ता माना है । कनिंघम सैल्यूकस द्वारा सेनापति निकानोर की पराजय की घटना से सम्वत् का आरम्भ मानते हैं। तात्पर्य यही है कि सैल्यूकस ने इस सम्वत् का आरम्भ किया। इसमें डा० त्रिवेद द्वारा दिये गये तथ्य, जिसमें वे गुप्त वंश का शासन ३२० ई० पूर्व मानते हैं और समुद्र गुप्त को सैल्यूकस का समकालीन मानते हैं, विवादास्पद हैं । अतः उनके द्वारा दिया गया तथ्य कि सैल्यूसीडियन सम्वत् का आरम्भ समुद्र गुप्त द्वारा किया गया प्रमाणिक साक्ष्यों पर आधारित नहीं है । इसी मत की सम्भावना अधिक है कि अपनी ताजपोशी के समय स्वयं सैल्यूकस द्वारा ही इस सम्वत् की स्थापना की गयी है जैसाकि सम्वत् के नाम
१. राय बहादुर पंडित गौरी शंकर हीरा चन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपि. __ माला", अजमेर, १६१८, पृ० १६५ । २. एलेग्जेण्डर कनिंघम द्वारा उद्धत, “एक बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी,
१६७६, पृ० ४० । ३. वही। ४. वही।