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भारतीय संवतों का इतिहास
कर्नल टोड ने महावीर निर्वाण ४७७ वर्ष विक्रम से पूर्व माना । जैन रिवाजों से महावीर निर्वाण के लिए ५४५ तथा ४६७ ई० पूर्व की तिथियां भी प्राप्त होती हैं, परन्तु ये तिथियां बुद्ध परम्पराओं तथा साहित्य से मेल नहीं खातीं।' डा० डी० एस० त्रिवेद ने महावीर निर्वाण की तिथि १७६५ ई० पूर्व निश्चित करने का प्रयास किया है। उन्होंने अपने मत की पुष्टि में विभिन्न साक्ष्यों का उल्लेख किया है परन्तु, यह मत अधिक मान्य नहीं है ।
महावीर निर्वाण सम्वत् को वीर निर्वाण सम्वत् के नाम से भी जाना जाता है। "जैनों के अन्तिम तीर्थीकर महावीर के निर्वाण से जो सम्वत् माना जाता है उसको वीर निर्वाण सम्वत कहते हैं उसका प्रचार बहुधा जैन ग्रन्थों में मिलता है तो भी कभी-कभी उसमें दिये हये वर्ष शिलालेखों में भी मिल जाते हैं। 3 ओझा ने अपने तर्कों के लिए निम्न तीन साक्ष्य दिये हैं : "श्वेताम्बर मेरु तुंग ने अपनी विचार श्रेणी नामक पुस्तक में वीर निर्वाण सम्वत् और विक्रम सम्वत् के बीच का अन्तर ४७० दिया है । इस गणना के अनुसार विक्रम सम्वत् में ४७०, शक सम्वत् में ६०५ और ई. सम्वत् में ५२७ जोड़ने से वीर निर्वाण सम्वत आता है । श्वेताम्बर अम्बदेव उपाध्याय के शिष्य नेमिचन्द्राचार्य रचित महावीर चरित्र नामक प्राकृत काव्य में लिखा है : "मेरे (महावीर के) निर्वाण के ६०५ वर्ष व ५ माह बीतने पर शक राजा उत्पन्न होगा।" दिगम्बर सम्प्रदाय के नेमिचन्द्र रचित त्रिलोकसार नामक पुस्तक में भी वीर निर्वाण से ६०५ वर्ष और ५ माह बाद शक राजा का होना लिखा है। इन सब साक्ष्यों के आधार पर पंडित ओझा इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं : "इससे पाया जाता है कि दिगम्बर सम्प्रदाय के जैनों में भी पहले वीर निर्वाण और शक सम्वत् के बीच ६०५ वर्ष का अन्तर होना स्वीकार किया जाता था, जैसाकि श्वेताम्बर सम्प्रदाय वाले मानते
१. सी० मोबल डफ, "द क्रोनोलॉजी ऑफ इण्डिया", वोल्यूम-प्रथम, वाराणसी,
१६७५, पृ० ५। २. डी० एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० १७ । ३. राय बहादुर पंडित गौरी शंकर हीरा चन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन
लिपिमाला", अजमेर, १६१८, पृ० १६३ । ४. वही। ५. वही।