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भारतीय संवतों का इतिहास
महावीर निर्वाण सम्वत् के लिए किसी पृथक गणना पद्धति का उल्लेख नहीं है, इसमें वर्ष की लम्बाई ईसाई सम्वत् के वर्ष के बराबर ही है क्योंकि महावीर के निर्वाण से अब तक ईसाई सम्वत् के जितने वर्षं व्यतीत हुए हैं उतने ही वर्ष उस सम्वत् के भी माने जाते हैं जबकि ईसाई सम्वत् की वर्तमान गणना पद्धति ईसाई सम्वत् की लगभग १० शताब्दी बीतने पर निर्धारित हुयी है । इससे यही अनुमान लगाना चाहिए कि महावीर निर्वाण सम्वत् इससे भी बाद में आरम्भ किया गया । महावीर निर्वाण सम्वत् के वर्ष का आरम्भ हिन्दू गणना पद्धति के भी किसी निश्चित समय से आरम्भ होना निश्चित नहीं है । अतः गणना पद्धति के अभाव में इस सम्वत् को सम्वत् न कहकर मात्र वर्ष गणना का एक तरीका कहें तब अधिक उचित है ।
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जैन साहित्य, धर्म ग्रन्थों तथा अन्य तत्कालीन साहित्य में महावीर निर्वाण सम्वत् का प्रयोग काफी मात्रा में हुआ है । जैन लोगों द्वारा महावीर निर्वाण सम्वत् का प्रयोग अनेक परम्पराओं में, व्यक्तियों की व घटनाओं की तिथियां : के लिए किया गया। साथ ही कुछ जैन ग्रन्थकारों ने अपनी कृतियों के पूर्ण होने की तिथियां बताने तथा कुछ शिलालेखों के लिए भी किया। शिलालेखों के लिए इस सम्वत् का प्रयोग सीमित ही है । इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिलते कि यह सम्वत् कभी शासकीय भी रहा अथवा राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इसका प्रयोग हुआ । जैन साहित्य में उल्लिखित घटनायें जो इसी सम्वत् में अंकित है, अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गुत्थियों को सुलझाने में मदद करती हैं अर्थात् इस सम्वत् का ऐतिहासिक महत्व है । स्वयं महावीर का परिनिर्वाण एक ऐतिहासिक घटना है जिससे तत्कालीन अनेक राजवंशों का इतिहास जुड़ा है । धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महावीर निर्वाण सम्वत् का प्रयोग आज भी जैन सम्प्रदाय द्वारा किया जा रहा है ।
ईसाई सम्वत्
ईस्वी सम्वत् का नाम ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के नाम पर पड़ा है । जीसस क्राइस्ट का जिस वर्ष जन्म हुआ, तभी से सम्वत् का आरम्भ हुआ माना जाता है और इसी कारण इस सम्वत् को ईस्वी सन् कहा जाता है । आरम्भ में ईसाई सम्वत् का प्रचलन रोम में हुआ । शनैः-शनैः इसके पंचांग में परिवर्तन होते रहे तथा पहले यूरोप में इस सम्वत् का प्रचार हुआ, फिर विश्व में जहांजहां भी इसके अनुयायी गये व विश्व के विभिन्न स्थानों में जहां भी उन्होंने अपने उपनिवेशों की स्थापना की, वहीं ईसाई सम्वत् का प्रसार भी किया और अब लगभग सम्पूर्ण विश्व में राजनैतिक घटनाओं की गणना तथा दैनिक व्यवहार की छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ईसाई सम्वत् का