________________
धर्म चरित्रों से सम्बन्धित सम्वत्
सभी विद्ववगण कलियुग का आरम्भ महाभारत युद्ध से मानते हैं, परन्तु महाभारत युद्ध कब हुआ, इस प्रश्न पर उन सभी में व्यापक मतभेद हैं। भारत में कुछ परम्परायें प्रचलित हैं जिनके आधार पर महाभारत युद्ध की तिथि व कलियुग का आरम्भ का निर्धारण करने का प्रयास किया गया है(१) आर्य भट्ट परम्परा
(२) वृद्ध गर्ग परम्परा (३) सप्तर्षि परम्परा
(४) भास्कर परम्परा (५) कृष्ण जन्म परम्परा
(६) कल्हण की परम्परा (७) एहोल अभिलेख परम्परा
आर्य भट्ट की सूचनायें खगोलशास्त्रीय तथ्यों पर आधारित हैं। इनका आधार सूर्य सिद्धान्त है। "उज्जैन में अर्द्धरात्रि के समाप्त होने पर १७ फरवरी, ३१०२ ई० पूर्व को कलियुग का आरम्भ हुआ। आर्य भट्ट ने ग्रहों की स्थिति का खण्डन किया। यह माना हुआ सत्य है कि आर्य भट्ट द्वारा दी गयी अपने जन्म की तिथि सही है । ३ युग व कलियुग के ३६०० वर्ष व्यतीत होने पर वह २३ वर्ष का था। यदि ४६६ ई० आर्य भट्ट के जन्म की मान्य तिथि है तब इसके अनुसार कलियुग का आरम्भ ३१०१ ई० पूर्व में हुआ तथा महाभारत युद्ध की तिथि ३१३७ ई० पूर्व आयी । आर्य भट्ट की एक दूसरी परम्परा के अनुसार कलियुग आरम्भ की तिथि ३०७८ ई० पूर्व तथा कुरुक्षेत्र युद्ध की तिथि ३११४ ई० पूर्व आती है । पौराणिक संदर्भ में कलि के आरम्भ से ३६०० वर्ष पूर्व युद्ध हुआ। इस प्रकार आर्य भट्ट परम्परा में ३१३७ व ३११४ ई० पूर्व की दो तिथियां कुरुक्षेत्र युद्ध के संदर्भ में मिलती हैं। अत: आर्य भट्ट परम्परा में कलियुग आरम्भ की तिथि तथा कुरुक्षेत्र युद्ध की तिथि पूर्ण रूप से निश्चित नहीं हो पाती है । वृद्ध गर्ग परम्परा में कलि के आरम्भ व कृष्ण की मृत्पु की तिथि ३१०१ ई० पूर्व मिलती है। इसी समय युधिष्ठिर ने संसार को त्यागा।"3 पुराणों में राजा परीक्षित के समय सप्तीर्ष तारामण्डल की स्थिति दी गयी है जिसके आधार पर कलियुग के आरम्भ का अनुमान लगाया जाता है। हस्तिनापुर के युधिष्ठिर के उत्तराधिकारी परीक्षित के लिए सेन गुप्त ने ३७१ ई० पूर्व या ३०० ई० पूर्व की तिथियां दी हैं । सेन गुप्त के विचार में ये अधिक विश्वसनीय नहीं है-"पौराणिक तथ्यों में सप्तर्षि के लिए जो स्थिति
१. ए० एन० चन्द्रा, 'द डेट ऑफ कुरुक्षेत्र वार', कलकत्ता, १९७८, पृ०७६ २. वही, पृ० ७८ । ३. वही, पृ० ८२ ।