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गहना कर्मणो गतिः २५ करते रहते हैं । इसलिए तुम जिस-जिस बादल को भी देखो उसी के समक्ष दीन बनकर याचना मत करो।" ___ चातक के माध्यम से कवि मानव को भी सीख देता है कि आत्मा की अनन्त प्यास मिटाने के लिए तुम मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा तथा विभिन्न तीर्थों में भटकते हुए मत फिरो । क्योंकि आत्मा को संसार से मुक्त करने के लिए कोई भी बाह्य शक्ति या कोई भी देवी-देवता समर्थ नहीं बन सकता। आत्म-मुक्ति केवल आत्म-शक्ति ही करा सकती है। जो साधक वीतराग के वचनों पर अनन्य श्रद्धा रखता हुआ इसे पहचान लेता है और अपनी दृष्टि को बाहर के सम्पूर्ण पदार्थों से हटाकर अन्दर की ओर रखता है वही आत्मानन्द का अनुभव करता है तथा शनैः-शनैः अपनी अनन्तकाल की प्यास मिटाने में समर्थ बनता है। सच्ची इबादत ____ कहा जाता है कि एक फकीर हज करने के लिए रवाना हुए । यात्रा के दौरान उनकी एक साधु से भेंट हुई और उन्होंने पूछा- “फकीर साहब; आप कहाँ जा रहे हैं ?"
फकीर ने उत्तर दिया-"हज करने के लिए जा रहा हैं।" साधु ने फिर प्रश्न किया-"वहाँ जाकर आप क्या करेंगे ?"
फकीर साधु की बात से कुछ नाराज होकर बोला-“यह भी कोई पूछने की बात है ? लोग मक्का मदीना किसलिए जाते हैं ? वहाँ जाकर खुदा की इबादत करूंगा।"
"पर खुदा की इबादत करने के लिए वहाँ जाने की क्या जरूरत है ? यहीं क्यों नहीं आप खुदा की इबादत और हज कर लेते हैं ?"-साधु ने शांत भाव से कहा।
"वाह ! मक्का मदीना यहाँ कहाँ है जो मैं यहाँ बैठे-बैठे हज कर लूंगा? सच्ची इबादत तो वहीं जाकर हो सकती है। तुम कैसे साधु हो जो मक्का मदीना जैसे पाक स्थान पर जाने के लिए मना कर रहे हो ?" ___साधु ने मुस्कुराते हुए कहा-“फकीर साहब ! क्या हमारा दिल मक्का मदीना नहीं है, और उसमें अल्लाह नहीं होता ? सच्चा हज तो अन्दर की ओर झाँकने से ही हो सकता है । बाहर भटकने से नहीं।"
. ___फकीर साधु की बात से अत्यन्त प्रभावित हुए और समझ गये कि वास्तव में ही खुदा हमारे अन्दर है और उसकी इबादत के लिए दुनिया का चक्कर
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