________________
मोक्ष गढ़ जीतवा को
३४७
अपनी गलती पर ध्यान देना चाहिए एक घर में बाहर की बैठक में एक व्यक्ति अपने पुत्र के साथ बैठा था तथा स्कूल में दिये गये कुछ प्रश्नों के उत्तर समझा रहा था। अचानक ही धर के अन्दर से किसी काँच या चीनी के बर्तन के फूटने की आवाज आई।
पिता ने चौंककर कहा- "बेटा ! देखो तो, शायद तुम्हारे किसी भाई या बहन ने कोई बर्तन तोड़ दिया है।"
पुत्र बोला-"पिताजी ! यह बर्तन मेरे किसी भाई या बहन ने नहीं तोड़ा।"
"वाह ! यहीं बैठे-बैठे तुमने यह कैसे जान लिया ?" बाप ने आश्चर्य से पूछा।
__ "पिताजी ! बात यह है कि अगर हममें से किसी के द्वारा बर्तन टूटता तो अब तक माँ के द्वारा गालियाँ देने की या मारने-पीटने की भी आवाज आ जाती, पर वह आवाज नहीं आई है इसलिए निश्चित है कि बर्तन माँ के हाथ से ही टूटा है।"
पुत्र के इस प्रकार कहने पर जब पिता ने मालूम किया तो पता चला कि लड़के की बात सही थी। यानी उसकी माँ के द्वारा ही अचार की बरनी जमीन पर गिर कर फूट गई थी। ___ यह एक छोटा-सा उदाहरण हैं, पर संसार में इसी प्रकार होता है । लोग अपने बड़े से बड़े अपराध की ओर ध्यान नहीं देते, किन्तु दूसरों से थोड़ी-सी भी भूल हो जाने पर आकाश सिर उठा लेते हैं अर्थात् भूल करने वाले को गालियाँ देते हैं, उसकी निंदा करते हैं या उपहास का पात्र बनाकर लज्जित करते हैं। __ऐसा करना ठीक नहीं है। होना तो यह चाहिए कि व्यक्ति अपनी गलती के लिए पश्चात्ताप करे तथा औरों से भूल हो जाने पर उसे क्षमा कर दे।
ऐसी क्षमा सम्यक्त्वी जीव के हृदय में होती है । जो अपने क्षमारूपी हाथी के द्वारा क्रोधादि कषायों के सुदृढ़ गढ़ के द्वार तोड़ देता है। क्षमारूपी गज के मुकाबले में कषाय एवं विषय-विकार रूपी कोई भी शत्रु नहीं टिक पाता।
पद्य में जीवरूपी राजा की सेना में घोड़ा कैसा है ? इस विषय में बताया है कि वह मन है। मन को अश्व की उपमा दी जाती है। यद्यपि मन बड़ा चंचल होता है और प्रतिपल इधर-उधर दौड़ता रहता है। किन्तु जो साधक अपनी साधना के द्वारा विषय-विकारों से युद्ध करके उन्हें जीतना चाहता है,
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org