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आनन्द प्रवचन : सातवाँ भाग
उनमें से एक व्यक्ति बोला-“मनुष्य को प्रार्थना करते समय अन्न माँगना चाहिए, क्योंकि अन्न पर ही जीवन टिका रह सकता है।
इस पर दूसरा कहने लगा--"वाह ! अन्न पैदा करने के लिए भुजाओं में शक्ति चाहिए अतः अन्न की अपेक्षा शक्ति माँगना ज्यादा अच्छा है।"
दो व्यक्तियों की बात सुनकर तीसरा विद्वान कहने लगा- "अरे, शक्ति होने पर भी अक्ल नहीं हुई तो कैसे काम चलेगा ? शक्ति तो शेर में भी होती है, पर क्या वह अनाज पैदा कर सकता है ? नहीं, इसलिए मनुष्य को सबसे पहले बुद्धि या अक्ल के लिए भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए।"
बन्धुओ ! वहाँ सारे ही व्यक्ति विद्वान थे अतः कौन किससे पीछे रहता ? अब चौथा विद्वान बोला- “मेरे खयाल से तो मनुष्य को भगवान से प्रार्थना करते समय शांति माँग लेनी चाहिए, क्योंकि अशांति का वातावरण होने से झगड़े होते हैं और वैर बँध जाता है। वैर के कारण लोग एक-दूसरे की खेती उजाड़ देते हैं या फसल पकने पर आग ही लगा देते हैं।"
चौथे व्यक्ति की बात सुनकर अब तक चुप बैठा हुआ पाँचवाँ व्यक्ति सुगबुगाया और अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने के लिए कहने लगा-"भला शांति भी कोई माँगने की चीज है ? माँगना ही है तो भगवान से सीधा ही 'प्रेम' क्यों नहीं माँग लेना चाहिए ? प्रेम होने पर शांति स्वयं स्थापित हो जाएगी। इसके अलावा लोगों में आपस में प्रेम होगा तो वे हिलमिल कर अनाज पैदा कर लेंगे भले ही किसी में शक्ति अधिक और किसी में कम, साथ-साथ काम करेंगे तो एक-दूसरे की मदद कर दिया करेंगे।" ___ अब छठे विद्वान की बारी बोलने की आ गई । मेरा यह आशय नहीं है कि सबको बारी-बारी से बोलना ही चाहिए था, पर वहाँ एक से एक बढ़कर विद्वान बैठे थे अतः दूसरों को प्रभावित करने का मौका कोई भी क्यों छोड़ता ? इसीलिए मैंने कहा है कि छठे विद्वान की बारी आ गई । वह बोला
__ "मेरी समझ में नहीं आता कि आप मूल को सींचने के बजाय फूल को क्यों सींच रहे हैं ? प्रेम तो फूल या फल है पर मूल है त्याग । त्याग होगा तो प्रेम, करुणा, सेवा आदि अनेक प्रकार के फल-फूल स्वयं ही प्राप्त हो जाएंगे, अतः मनुष्य को भगवान से 'त्याग' ही माँगना चाहिए । त्याग से बढ़कर तो और कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु है ही नहीं इस संसार में, फिर 'त्याग' ही क्यों न भगवान से माँगा जाय?" __छठे व्यक्ति का यह लेक्चर सुनकर सातवें विद्वान को भी जोश आ गया और वे अपने ज्ञान का दूसरों को ज्ञान कराने के लिए बोल पड़े- "त्याग क्या
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