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सच्ची गवाही किसकी ?
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जिन्दगी का आनन्द व्यक्ति तभी उठा सकता है, जबकि वह बिगड़े हुए को भी बना ले । इसीलिए कवि कह रहा है - " प्यारे भाई ! जिन्दगी का मजा तुझे तभी आएगा, जबकि तू अपने भविष्य को तो बनाएगा ही, पर उससे पहले जो भूतकाल में हानि हो चुकी है उस क्षति की भी पूर्ति कर लेगा साथ ही अपनी शक्ति के द्वारा जो अज्ञानी व्यक्ति हैं, उन्हें भी अपने साथ साधना के मार्ग पर बढ़ाता चलेगा । "
राजा प्रदेशी ने जीवन का लाभ या आनन्द इसी प्रकार उठाया था । उसने महामुनि केशी स्वामी के संसर्ग से अपनी शंकाओं का समाधान करते हुए अपने भावी जीवन को तो सुधारा ही, साथ ही भूतकाल में किये हुए हत्याओं जैसे घोर पापों को भी भस्म कर लिया। इस प्रकार उन्होंने यथार्थ में बिगड़ी हुई को बनाया । अगर पूर्व कर्मों को वे नष्ट नहीं करते तो उनका परिणाम कभी न कभी भोगना ही पड़ता । अतः परलोक में दृढ़ विश्वास करके उन्होंने परिणामों की इतनी उत्कृष्टता प्राप्त कर ली कि समग्र पूर्व कर्मों को नष्ट करके आगे के लिए भी मार्ग प्रशस्त बना लिया ।
ऐसे उदाहरणों से जो भव्य प्राणी शिक्षा लेंगे तथा अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयत्न करेंगे वे निश्चय ही परलोक में सुखी बनेंगे तथा आत्मा को अनेकानेक कष्टों से बचा सकेंगे । पर यह तभी होगा, जबकि व्यक्ति वीतराग के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा रखता हुआ संवर के मार्ग पर बढ़ेगा और कर्मों का क्षय करता चलेगा ।
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