________________ तृतीय अध्ययन : क्षुल्लिकाचार-कथा] क्रम नाम अर्थ अनाचार का कारण 33. मचित्त मूलक मूली लेना सचित्त वनस्पति ग्रहण करने से वनस्पतिकायिक जीवों का वध होता है 34. सचित्त शृगबेर सचित्त अदरक लेना 35. सचित इक्षुखण्ड इक्षुखण्ड, कन्द, मुल, फल, फल, पत्त बीज अादि सचित्त लेना या तोड़ना, उपभोग करना 36. सचित्त कन्द 37. सचित्त मूल 38. सचित्त फल 39. सचित्त बीज 40. सचित्त सौवर्चल लवण सचित्त संचल नमक पृथ्वीकायिक जीववध 41. सचित्त सैंधव लवण संधा नोन 42. सचित्त लवण साधारण नमक 43. सचित्त रुमा लवण रोमा नमक 44. सचित्त समुद्री लवण समुद्री नमक 45. सचित्त पांशुक्षार लवण सचित्त खार वाला नमक 46. सचित्त कृष्ण लवण सचित्त काला नमक 47. धूमनेत्र धूप करना, धुपा करना, धूम्रपान करना अग्निकाय समारम्भ, विभूषा 48, वमन के करना अत्यधिक मात्रा में भोजन करने से असंयम बस्तिकर्म एनिमा वगैरह लेना 50. विरेचन जुलाब, रेचन लेना 51. अंजन आंखों में सुरमा, काजल आदि लगाना परोक्ष हिंसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org