Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 522
________________ 440] [दशवकालिकसूत्र आचार्य ने कहा-'वत्स, तुम यथार्थ समझो कि चारित्रवान् पुरुष के लिए केवल स्त्री, बहुत बड़ा खतरा है।' शिष्य ने पूछा-'यह कैसे भगवन् ?' इसके उत्तर में आचार्य ने जो उत्तर दिया, वह इसी गाथा (441) में अंकित है / उसका भावार्थ यह है कि जिस प्रकार (जिसके पंख न पाए हों ऐसे) मुर्गे के बच्चे को सदैव बिल्ली से भय होता है, उसी प्रकार ब्रह्मचारी को स्त्री के शरीर से भय होता है।' -दशवै. अ. 8 गा. 441, जिन. चूणि पृ. 261 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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