Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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इस प्रकार अजीवभिगम का निरूपण पूरा हुआ ।
जीवाभिगम का स्वरूप और प्रकार
६. से किं तं जीवाभिगमे ? जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते,
तं जहा - संसारसमावण्णग-जीवाभिगमे य असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे य ।
[६] जीवाभिगम क्या है ?
जीवाभिगम दो प्रकार का कहा गया है,
जैसे- संसारसमापन्नक जीवाभिगम और असंसारसमापन्नक जीवाभिगम ।
[जीवाजीवाभिगमसूत्र
७. से किं तं असंसारसमावण्णग- जीवभिगमे ?
असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते,
तं जहा—अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमे य ।
से किं तं अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवभिगमे ? अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमें पण्णरसविहे पण्णत्ते, तं जहा - तित्थसिद्धा जाव अणेगसिद्धा ।
सेतं अतरसिद्धा' |
से किं तं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे ? परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग-जीवाभिगमे अणेगविहे पण्णत्ते तं जहा- पढमसमयसिद्धा, दुसमयसिद्धा जाव अनंतसमयसिद्धा ।
सेतं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे । सेतं असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे ।
[७] असंसार- प्राप्त जीवाभिगम क्या है ?
. असंसारप्राप्त - जीवाभिगम दो प्रकार का है,
यथा - अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम और परंपरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम । अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त - जीवाभिगम कितने प्रकार का कहा गया है ?
अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त - जीवाभिगम पन्द्रह प्रकार का कहा गया है, यथा-तीर्थसिद्ध यावत् अनेकसिद्ध ।
यह अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम का कथन हुआ ।
परम्परसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम क्या है ।
परम्परसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम अनेक प्रकार का कहा गया है । यथा - प्रथमसमयसिद्ध, द्वितीयसमयसिद्ध यावत् अनन्तसमयसिद्ध ।