Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति: जंबूद्वीप क्यों कहलाता हैं ?]
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[१५२] (१) सुदर्शना अपर नाम जम्बू की चारों दिशाओं में चार-चार शाखाएँ कही गई हैं, यथापूर्व में, दक्षिण में, पश्चिम में और उत्तर में। उनमें से पूर्व की शाखा पर एक विशाल भवन कहा गया है जो एक कोस लम्बा, आधा कोस चौड़ा, देशोन एक कोस ऊँचा है, अनेक सैकड़ों खंभों पर आधारित है आदि वर्णन भवन के द्वार तक करना चाहिए। वे द्वार पाँच सौ धनुष के ऊँचे, ढाई सौ धनुष के चौड़े यावत् वनमालाओं, भूमिभागों, ऊपरीछतों और पांच सौ धनुष की मणिपीठिका और देवशयनीय का पूर्ववत् वर्णन करना चाहिए।
उस जम्बू की दक्षिणी शाखा पर एक विशाल प्रासादावतंसक है, जो एक कोस ऊँचा, आधा कोस लम्बा-चौड़ा हैं, आकाश को छूता हुआ और उन्नत है। उसमें बहुसमरमणीय भूमिभाग है, भीतरी छतें चित्रित हैं आदि वर्णन जानना चाहिए। उस बहुसमरमणीय भूमिभाग के मध्य में सिंहासन है, वह सिंहासन सपरिवार है अर्थात् उसके आसपास अन्य सामानिक देवों आदि के भद्रासन हैं। यह सब वर्णन पूर्ववत् कहना चाहिए।
उस जम्बू की पश्चिमी शाखा पर एक विशाल प्रासादावतंसक है। उसका वही प्रमाण है और सब वक्तव्यता पूर्ववत् कहनी चाहिए यावत् वहाँ सपरिवार सिंहासन कहा गया है।
___उस जम्बू की उत्तरी शाखा पर भी एक विशाल प्रासादावतंसक है आदि सब कथन-प्रमाण, सपरिवार सिंहासन आदि पूर्ववत् जानना चाहिए।
उस जम्बूवृक्ष की ऊपरी शाखा पर एक विशाल सिद्धायतन है जो एक कोस लम्बा, आधा कोस चौड़ा और देशोन एक कोस ऊँचा है और अनेक सौ स्तम्भों पर आधारित है आदि वर्णन करना चाहिए। उसकी तीनों दिशाओं में तीन द्वार कहे गये हैं जो पांच सौ धनुष ऊँचे, ढाई सौ धनुष चौड़े हैं। पांच सौ धनुष की मणिपीठिका है। उस पर पांच सौ धनुष चौड़ा और कुछ अधिक पांच सौ धनुष ऊँचा देवच्छंदक है। उस देवच्छंदक मे जिनोत्सेध प्रमाण एक सौ आठ जिनप्रतिमाएँ हैं। इस प्रकार पूरी सिद्धायतन वक्तव्यता कहना चाहिए। यावत् वहाँ धूपकडुच्छुक है। वह उत्तम आकार का है और सोलह प्रकार के रत्नों से युक्त
१५२.(२) जंबूणंसुदंसणा मूले बारसहिं पउमवरवेइयाहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता। ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोयणं उ8 उच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं, वण्णओ।
जंबू णं सुदंसणा अण्णेणं अट्ठसएणं जंबूणं तयद्भुच्चत्तप्पमाणमेत्तेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता।ताओणं जंबूओचत्तारि जोयणाई उड्डे उच्चत्तेणं कोसंच उव्वेहेणंजोयणं खंधो, कोसं विक्खंभेणं तिण्णिजोयणाई विडिमा, बहुमज्झदेसभाए चत्तारिजोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं चत्तारि जोयणाई सव्वग्गेणं, वइरामयमूला सो चेव चेइयरुक्खवण्णओ। ___ जंबूए णं सुदंसणाए अवरुतरेणं उत्तरेणं उत्तरपत्थिमेणं एत्थ णं अणढियस्स चउण्हं सामाणियसहस्सीणं चत्तारि जंबूसाहस्सीओ पण्णत्ताओ।जंबूए णं सुदंसणाए पुरथिमेणं एत्थ णं अणढियस्स देवस्स चउण्हे अग्गमहिसीणं चत्तारि जंबूओ पण्णत्ताओ। एवं परिवारो सव्वो