Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 496
________________ तृतीय प्रतिपत्ति: जंबूद्वीप क्यों कहलाता हैं ?] में एक विशाल कूट है। उसका प्रमाण वही है यावत् वहाँ सिद्धायतन है। उस जम्बूसुदर्शना के पश्चिमी भवन के उत्तर में और उत्तर-पश्चिम के प्रासादावतंसक के दक्षिण में एक विशाल कूट है। वही प्रमाण है यावत् वहाँ सिद्धायतन है। उस जम्बूसुदर्शना के उत्तर दिशा के भवन के पश्चिम में और उत्तर-पश्चिम के प्रासादावतंसक के पूर्व में एक विशाल कूट है आदि वर्णन करना चाहिए यावत् वहाँ सिद्धायतन है। उस जम्बूसुदर्शना के उत्तर दिशा के भवन के पूर्व में और उत्तरपूर्व के प्रासादावतंसक के पश्चिम में एक महान् कूट कहा गया है। उसका प्रमाण वही है यावत् वहाँ सिद्धायतन है। १५२. (४) जंबू णं सुदंसणा अण्णेहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं जाव रायरुक्खेहिं हिंगुरुक्खेहिं जाव सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता। जंबूए णं सुदंसणाए उवरिं बहवे अट्ठमंगलगा पण्णत्ता तं जहा-सोत्थिय सिरिवच्छ० किण्हा चामरज्झया जाव छत्ताइछत्ता। जंबूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहासुदंसणा अमोहा य सुप्पबुद्धा जसोधरा। विदेह जंबू सोमणसा णियया णिच्चमंडिया॥१॥ सुभद्दा य विसाला य सुजाया सुमणीवि य। सुदंसणाए जंबूए नामधेज्जा दुवालस॥२॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जंबू सुदंसणा जंबू सुदंसणा? गोयमा ! जंबूए णंसुदंसणाए जंबूदीवाईअणाढिए णामं देवे महिड्डिए जाव पलिओवमईिए परिवसइ।से णं तत्थ चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जावजंबूदीवस्स जंबूए सुदंसणा अणाढियाए य रायहाणीए जाव विहरइ। कहिं णं भंते ! अणाढियस्स जाव समत्ता वत्तव्वया रायहाणीए, महिड्डिए। अदुत्तरं य णंगोयमा ! जंबूहीवे दीवे तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे जंबूरुक्खाजंबूवणा जंबूवणसंडाणिच्चं कुसुमिया जाव सिरीए अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिटुंति। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइं-जंबुद्दीवे जंबुद्दीवे। अदुत्तरं च णं गोयमा ! जंबुद्दीवस्स सासए णामधेज्जे पण्णत्ते जन्न कयावि णासि जाव णिच्चे। [१५२-४] वह जंबूसुदर्शना अन्य बहुत से तिलक वृक्षों, लकुट वृक्षों यावत् राय वृक्षों और हिंगु वृक्षों से सब ओर से घिरी हुई है। जंबूसुदर्शना के ऊपर बहुत से आठ-आठ मंगल-स्वस्तिक, श्रीवत्स यावत् दर्पण, कृष्ण चामर ध्वज यावत् छत्रातिछत्र हैं-यह सब वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। जंबूसुदर्शना के बारह नाम हैं, यथा-१. सुदर्शना, २. अमोहा, ३. सुप्रबुद्धा, ४. यशोधरा, ५. विदेहजंबू,

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