Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 418
________________ तृतीय प्रतिपत्ति : जम्बूद्वीप के द्वारों की संख्या] [३६९ जंबूद्वीप के द्वारों की संख्या १२८. जंबूद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कति दारा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि दारा पण्णत्ता, तं जहा-विजए, वेजयंते, जयंते अपराजिए। [१२८] हे भगवन् ! जंबूद्वीप नामक द्वीप के कितने द्वार हैं ? गौतम ! जंबूद्वीप के चार द्वार हैं, यथा-विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित। १२९. (१) कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पणयालीसंजोयणसहस्साइं अबाहाए जंबुद्दीवे दीवे पुरच्छिमपेरन्ते लवणसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीताए महाणदीए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते, अट्ठजोयणाइं उठें उच्चत्तेणं, चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं, सेए वरकणयथूभियागे ईहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिण्णररुरुसरभ-चमरकुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्ते खंभुग्गयवइरवेदियापरिगताभिरामे विजाहरजमलजुयलजंतजुत्ते इव अच्चिसहस्समालिणीए रूवगसहस्सकलिए भिसमाणेभिब्भिसमाणे चक्खुल्लोयणलेसे सुहफासे सस्सिरीयरूवे।वण्णो दारस्स तस्सिमो होइ, तंजहा-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिढाणा वेरुलियमया खंभा जायरूवोवचियपवरपंचवण्णमणिरयणकोट्टिमतले, हंसगब्भमए एलुए गोमेज्जमए इंदक्खीले लोहितक्खमईओ दारचेडीओ जोतिरसामए उत्तरंगे वेरुलियामया कवाडा वइरामया संधी लोहितक्खमईओ सूईओ णाणामणिमया समुग्गा वइरामई अग्गलाओ अग्गलपासाया वइरामई आवत्तणपेढिया अंकुत्तरपासाए णिरंतरितघणकवाडे,भित्तीसु चेवभित्तीगुलिया छप्पणणा तिण्णि होन्ति गोमाणसी, तत्तियाणाणामणिरयणवालरूवगलीलट्ठिय सालभंजिया, वइरामए कूडे रययामए उस्सेहे सव्वतवणिज्जमए उल्लोए णाणामणिरयणजाल पंजरमणिवंसग लोहितक्ख पडिवंसग रययभोम्मे, अंकामया पक्खबाहाओ जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुगा य रययामईओ पट्टियाओ जायरूवमई ओहाडणी वइरामई उवरिपुच्छणी सव्वसेयरययमए छायणे अंकमयकणगकूडतवणिज्ज-थूभियाए सेए संखतलविमलणिम्मलदधिघण गोखीर फेणरययणिगरप्पगासेतिलग-रयणद्धचंदचित्तेणाणामाणिमयदामालंकिए अंतोयबहिंयसण्हे तवणिज्जरुइलवालुयापत्थडे सुहप्फासे सस्सिरीयरूवे पासाइए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। भगवान ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप का विजयद्वार कहाँ कहा गया है ? [१२९] (१) गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मेरुपर्वत के पूर्व में पैंतालीस हजार योजन आगे जाने पर तथा जंबूद्वीप के पूर्वान्त में तथा लवणसमुद्र के पूर्वार्ध के पश्चिम भाग में सीता महानदी के ऊपर जंबूद्वीप का विजयद्वार कहा गया है। यह द्वार आठ योजन का ऊँचा, चार योजन का चौड़ा और इतना ही (चार योजन का) इसका प्रवेश है। यह द्वार श्वेतवर्ण का है, इसका शिखर श्रेष्ठ सोने का है। इस द्वार पर ईहामृग, वृषभ, घोड़ा, मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, रुरु (मृग), सरभ (अष्टपद), चमर, हाथी, वनलता और पद्मलता के विविध चित्र बने हुए हैं। इसके खंभों पर बनी हुई वज्रवेदिकाओं से युक्त होने के कारण

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