Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति :विजयदेव का उपपात और उसका अभिषेक]
[४०७
ह्रद से बाहर निकलता है और जिधर अभिषेकसभा है उधर जाता है। अभिषेकसभा की प्रदक्षिणा करके पूर्वदिशा के द्वार से उसमें प्रवेश करता है और जिस ओर सिंहासन रखा है उधर जाता है और पूर्वदिशा की ओर मुख करके सिंहासन पर बैठ जाता है।
१४१.[३] तए णं तस्स विजयदेवस्स सामाणियपरिसोववण्णगा देवा आभिओगिए देवे सद्दावेंति सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयस्स देवस्स महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं इंदाभिसेयं उवट्टवेह। तए णं ते आभिओगिया देवा सामाणियपरिसोववण्णगेहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठ तुटु जाव हियया करतलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं देवा! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसिभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणंति समोहणित्ता संखेन्जाइं जोयणाई दंडं णिस्सरंति, तहाविहे रयणाणं जाव रिट्ठाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडंति परिसाडित्ता अहासुहमे पोग्गले परियायंति परियाइत्ता दोच्चंपिवेउव्वियसमुग्घाएणंसमोहणंति समोहणित्ता अट्ठसहस्संसोवणियाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं रुप्पामयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं मणिमयाणं, अट्ठसहस्सं सुवण्णरूप्पामयाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णमाणिमयाणं अट्ठसहस्सं रूप्पामणिमयाणं अट्ठसहस्सं भोमेज्जाणं अट्ठसहस्सं भिंगारागाणं एवं आयंसगाणं थालाणं पासाई सुपतिट्ठकाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं पुष्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुष्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं अट्ठसयं सीहासणाणं छत्ताणंचामराणं अवपडगाणं ( वट्टकाणं तवसिप्पाणं खोरकाणं पीणकाणं) तेलसमुग्गकाणं अट्ठसयं धूवकडुच्छुयाणं विउव्वंति, ते साभाविए विउव्विए ये कलसे य जाव धूवकडुच्छए य गेण्हंति, गेण्हित्ता विजयाओ रायहाणीओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव उद्धयाए दिव्वाए देवगईए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झं मझेणं वीयीवयमाणा वीयीवयमाणा जेणेव खीरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छंति। तेणेव उवागच्छित्ता खीरोदय गिण्हित्ता जाई तत्थ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताई गिण्हंति, गिण्हत्ता जेणेव पुक्खरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पुक्खरोदगं गेण्हंति, पुक्खरोदगं गिण्हित्ता जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताई गिण्हंति गिण्हित्ता जोणेव समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयाई वासाइं जेणेव मागधवरदामपभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता तित्थोदगं गिण्हंति, गिणिहत्ता तित्थमट्टियं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव गंगासिंधुरत्तरात्तवईसलिला तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सरितोदगं गेण्हंति, गेण्हित्ता उभओ तडमट्टियं गेण्हंति गेण्हित्ता जेणेव चुल्लहिमवंतसिहरिवासधरपव्वया तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता सव्वतुवरे य सव्वपुप्फे य सव्वगंधे य सव्वमल्ले य सव्वोसहिसिद्धत्थए गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव पउमद्दह-पुंडरीयद्दहा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता दहोदगं गेण्हंति, जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताइं गेहंति, ताई गेण्हित्ता जेणेव हेमवय-हेरण्यवयाइं जेणेवरोहिय-रोहितंस-सुवण्णकूल-रुप्पकूलाओ तेणेव
१. कोष्टाकान्तर्गत पाठ वृत्ति में नहीं है।
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