Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम प्रतिपत्ति: बादर वनसंपतकायिक ]
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१८. से किं तं वणस्सइकाइया ? वणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा-सुहुमवणस्सइकाइयाय बायरवणस्सइकाइया
[१८] वनस्पतिकायिक जीवों का क्या स्वरूप है ?
वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा-सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और बादर वनस्पतिकायिक।
१९. से किं तं सुहुमवणस्सइकाइया ।
सुहुमवणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता,तं जहा-पज्जत्तगाय अपज्जत्तगा यातहेवणवरं अणित्थंथसंठाणसंठिया, दुगतिया दुआगतिया अपरित्ता अवसेसं जहा पुढविकाइयाणं, से तं सुहुमवणस्सइकाइया।
[१९] सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव क्या हैं-कैसे हैं ?
सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के हैं-पर्याप्त और अपर्याप्त, इत्यादि वर्णन सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों के समान जानना चाहिए। विशेषता यह है कि सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों का संस्थान अनियत है। ये जीव दो गति में जाने वाले और दो गतियों से आने वाले हैं। वे अप्रत्येकशरीरी (अनन्तकायिक) हैं और अनन्त हैं। हे आयुष्मन्! हे श्रमण! यह सूक्ष्म वनस्प्पतिकाय का वर्णन हुआ। बादर वनस्पतिकायिक
१९. से किं तं बायरवणस्सइकाइया ?
बायरवणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया य साधारणसरीर बायरवणस्सइकाइया य।
[१९] बादर वनस्पतिकायिक क्या हैं-कैसे हैं ? बादर वनस्पतिकायिक दो प्रकार के कहे गये हैं,जैसे-प्रत्येकशरीरी बादर वनस्पतिकायिक और साधारणशरीर बादर वनस्पतिकायिक। २०. से किं तं पत्तेयसरीर बायरवणस्सइकाइया ? पत्तेयसरीर बायरवणस्सइकाइया दुवालसविहा पण्णत्ता, तं जहारुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पव्वगा चेव। तण-वलय-हरित-ओसहि-जलरुह-कुहणा य बोद्धव्वा॥१॥ से किं तं रुक्खा ? रुक्खा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगट्ठिया य बहुवीया य। से किं तं एगट्ठिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा