Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय प्रतिपत्ति: अल्पबहुत्व ]
जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। कोई देवीभाव से च्यवकर गर्भज मनुष्य में उत्पन्न हुई । वहाँ वह पर्याप्ति की पूर्णता के पश्चात् तथाविध अध्यवसाय से मृत्यु पाकर देवी के रूप में उत्पन्न हो गई - इस अपेक्षा से जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त हुआ । उत्कर्ष से वनस्पतिकाल का अन्तर स्पष्ट ही है ।
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इसी प्रकार असुरकुमार देवी से लगाकर ईशानकल्प की देवियों का अन्तर भी जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल जानना चाहिए।
अल्पबहुत्व
५०. ( १ ) एतासिं णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं, मणुस्सित्थियाणं देवित्थियाणं कयरा कयराहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सित्थिओ,
तिरिक्खजोणियाओ असंखेज्जगुणाओ, देवित्थियाओ असंखिज्जगुणओ ।
(२) एतासिं णं भंते! तिरिक्खजोणित्थियाणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोया ! सव्वत्थोवाओ खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ, थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ,
जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ ।
(३) एतासिं णं भंते! मणुस्सित्थियाणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवाओ अंतरदीवग-अकम्मभूमग- मणुस्सित्थियाओ, देवकुरूत्तरकुरु-अकम्मभूमग मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, हरिवास रम्मगवास अकम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ, हेमवतेरण्णवय अकम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्लाओ संखिज्जगुणाओ, भरहेरवतवासकम्मभूमिग- मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्लाओ संखिज्जगुणाओ, पुव्वविदेह अवरविदेह कम्मभूमिग- मणुस्सिंत्थियाओ दो वि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ । (४) एतासिं णं भंते! देवित्थियाणं भवणवासीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवाओ वेमाणियदेवित्थियाओ, भवणवासिदेवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ, वाणमंतरदेवियाओ असंखेज्जगुणाओ, जोतिसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ ।