Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
विशेष विचारणा में असुरकुमार पुरुषों की जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट कुछ अधिक एक सागरोपम। नागकुमार पुरुषों की जघन्य से दस हजार वर्ष, उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम। सुवर्णकुमार आदि शेष स्तनितकुमार पर्यन्त सब भवनपतियों की भी यही स्थिति है।
व्यन्तरों की जघन्य दस हजार की, उत्कृष्ट एक पल्योपम; ज्योतिष्क पुरुषों की जघन्य से पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक एक परिपूर्ण पल्योपम।
सौधर्मकल्प के देव पुरुषों की स्थिति जघन्य से एक पल्योपम और उत्कृष्ट से दो सागरोपम की है।
ईशानकल्प के देव पुरुषों की जघन्य से कुछ अधिक एक पल्योपम और उत्कृष्ट कुछ अधिक दो सागरोपम है।
सनत्कुमार देव पुरुषों की जघन्य दो सागरोपम और उत्कृष्ट सात सागरोपम है।
माहेन्द्रकल्प के देवों की जघन्य से कुछ अधिक दो सागरोपम और उत्कृष्ट से कुछ अधिक सात सागरोपम है।
ब्रह्मलोक देवों की जघन्य से सात सागरोपम और उत्कृष्ट से दस सागरोपम है। लान्तक देवों की जघन्य से दस सागरोपम और उत्कृष्ट से चौदह सागरोपम है। महाशुक्रकल्प के देवों की जघन्य चौदह सागरोपम और उत्कृष्ट सत्रह सागरोपम है। सहस्रारकल्प के देवों की जघन्य स्थिति सत्रह सागरोपम है और उत्कृष्ट अठारह सागरोपम है। आनतकल्प के देवों की स्थिति जघन्य अठारह सागरोपम और उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम है। प्राणतकल्प के देवों की जघन्य स्थिति उन्नीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बीस सागरोपम की है। आरणकल्प के देवों की जघन्य स्थिति बीस सागरोपम की और उत्कृष्ट इक्कीस सागरोपम की है। अच्युतकल्प के देवों की जघन्य स्थिति इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाबीस सागरोपम की
अधस्तनाधस्तन ग्रैवयक देवपुरुषों की जघन्य स्थिति बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेवीस सागरोपम की है।
अधस्तनमध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति तेवीस सागरोपम की और उत्कृष्ट चौबीस सागरोपम की है।
अधस्तनोपरितन ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति चौबीस सागरोपम की और उत्कृष्ट पच्चीस सागरोपम
मध्यमाधस्तन ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति पच्चीस सागरोपम की और उत्कृष्ट छब्बीस सागरोपम
मध्यममध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति छब्बीस सागरोपम की और उत्कृष्ट सत्तावीस सागरोपम की है।