Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________
३०२ ]
.. [जीवाजीवाभिगमसूत्र
एकोरुक द्वीप के मनुष्यों का वर्णन
[१३] एगोरुयदीवे णं भंते ! दीवे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पण्णत्ते ?
गोयमा ! ते णं मणुस्सा अणुवमतरसोमचारुरूवा, भोगुत्तमगयलक्खणा भोगसस्सिरीया सुजाय सव्वंगसुंदरंगा, सुपइट्ठिय कुम्मचारुचलणा, रत्तुप्पल पत्तमउय सुकुमाल कोमलतला नगनगर सागर मगर चक्कंक वरंक लक्खणंकियचलणा अणुपुव्व सुसंहतंगुलीया उन्नत तणु तंबणिद्धणखा संठिया सुसिलिट्ठगूढगुप्फा एणी कुरुविंदावत्तवट्टाणुपुव्वजंघा समुग्गणिमग्गगूढजाणू गयससणसुजात सण्णिभोरू वरवारणमत्ततुल्ल विक्कम विलासियगई सुजातवरतुरग गुज्झदेसा आइण्णहओव्व णिरुवलेवा, पमुइय वर तुरियसीह अतिरेग वट्टियकडी साहयसोणिंद मूसल दप्पणणिगरित वरकणगच्छरुसरिस वर वइरपलिय मज्झा, उज्जुय समसहित सुजात जच्चतणुकसिणणिद्ध आदेज लडह सुकुमाल मउय रमणिज्जरोमराई, गंगावत्त पयाहिणावत्त तरंग भंगुर रविकिरण तरुण बोधित अकोसायंत पउम गंभीर वियडनाभी झसविहग सुजात पीणकुच्छी, झसोयरा सुइकरणा पम्हवियडनाभा सण्णयपासा संगतपासा सुजातपासा मितमाइय पीणरइयपासा अकरुंडयणगरुयगनिम्मल सुजाय निरुवहयदेहधारी पसत्थ बत्तीस लक्खणधरा कणगसिलातलुज्जल पसत्थ समतलोवचिय विच्छिन्न पिहुलवच्छा सिरिवच्छंकिवच्छा पुरवरफलिह वट्टिय भुजा, भुयगीसर विपुलभोग आयाण फलिह उच्छूढ दीहबाहू, जुगसन्निभ पीणरइयपीवर पउट्ठसंठिय सुसिलिट्ठ विसिट्ठ घणथिर सुबद्ध निगूढ पव्वसंधी रत्ततलोवइय मउयमंसल पसत्थ लक्खण सुजाय अच्छिद्दयालपाणी, पीवरवट्टिय सुजाय कोमल वरंगुलीया तंबतलिन सुचिरुइरणिद्ध णक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा, चक्कपाणिलेहा दिसासोत्थिय पाणिलेहा चंदसूरसंखचक्कदिसासोत्थिय पाणिलेहाअणेगवर लक्खणुत्तम पसत्थरइय पाणिलेहा वरमहिस वराहसीह सदूल उसमणागवर पडिपुन विउल उन्नत खंधा, चउरंगुल सुप्पमाण कंबुवर सरिसगीवा अवट्ठित सुविभत्त सुजात चित्तमंसुमंसल संठिय पसत्थ सर्दूलविपुल हणुया,ओतविय सिलप्पवाल विंबफल सन्निभाहरोट्ठा पंडुरससि सगल विमल निम्मल संखगोखीरफेण दगरय मुणालिया धवल दंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलदंता सुजातदंता एगदंतसेढिव्व अणेगदंता हुतवह निद्धंतधोत तत्तवणिज्जरत्ततलतालुजोहा गरुलायय उज्जुतुंगणासा अवदालिय पोंडरीयनयणा कोकासितधवलपत्तलच्छा आणामिय चावरुइर किण्हब्भराइय संठिय संगय आयत सुजात तणुकसिणनिद्ध भुमया अल्लीणप्पमाणजुत्त सवणा सुस्सवणा पीणमंसल कवोलदेसभागा अचिरुग्गय बालचंदसंठिय पसत्थ विच्छिन्नसमणिडाला, उडुवइपडिपुण्णसोमवदणा छत्तागारुत्तमंगदेसा, घणनिचिय सुबद्ध लक्खणुण्णय कूडागारणिभपिंडियसीसे दाडिमपुप्फपगास तवणिज्जसरिस निम्मल सुजाय केसंत केसभूमी सामलिय बोंड घणाणिचिय छोडियमिउविसयपसत्थ सुहुम लक्खण सुगंध सुन्दर भुययोयग भिंगिणीलकज्जल पहट्ट भमरगण णिद्धणिकुरंब निचियकुंचियपदाहिणावत्तमुद्धसिरया, लक्खणवंजणगुणोववेया सुजाय सुविभत्त सुरूवगा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा।
Loading... Page Navigation 1 ... 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498