Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
दोच्चाए णं भंते ! पुढवीए उवरिल्लाओ चरिमंताओ हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवइयं अबाधाए अंतरे पण्णत्ते ?
गोयमा ! बत्तीसुत्तर जोयणसयसहस्सं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।
सक्करप्पभाए पुढवीए उवरि घणोदधिस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते बावण्णुत्तंर जोयणसयसहस्सं अबाधाए। घणवातस्स असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं पण्णत्ताइं । एवं जाव ओवासंतरस्स वि। जाव अधेसत्तमाए, णवरं जीसे जं बाहल्लं तेण घणोदधि संबंधेयव्वो बुद्धीए ।
सक्करप्पभाए अणुसारेणं घणोदधिसहियाणं इमं पमाणं तच्चाए णं भंते ! अडयालीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं । पंकप्पभाए पुढवीए चत्तालीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं । धूमप्पभाए पुढवीए अट्ठतीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं । तमाए पुढवीए छत्तीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं । अहेसत्तमाए पुढवीए अट्ठावीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं जाव अधेसत्तमाए। एस णं भंते! पुढवीए उवरिल्लाओ चरिमंताओ ओवासंतरस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते केवइयं अबाधाए अंतरे पण्णत्ते ?
गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं अबाधाए अंतरे पण्णत्ते ।
[७९] भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से नीचे के चरमान्त के बीच कितना अन्तर
है ?
गौतम ! एक लाख अस्सी हजार योजन का अन्तर है ।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से खरकांड के नीचे के चरमान्त के बीच कितना अन्तर कहा गया है ?
गौतम ! सोलह हजार योजन का अन्तर है ।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से रत्नकांड के नीचे के चरमान्त के बीच कितना अन्तर है ?
गौतम ! एक हजार योजन का अन्तर है ।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से वज्रकांड के ऊपर के चरमान्त के बीच कितना
अन्तर है ?
गौतम ! एक हजार योजन का अन्तर है ।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से वज्रकांड के नीचे के चरमान्त के बीच कितना
अन्तर है ?
गौतम ! दो हजार योजन का अन्तर है । इस प्रकार रिष्टकाण्ड के ऊपर के चरमान्त के बीच पन्द्रह हजार योजन का अन्तर है और नीचे के चरमान्त तक सोलह हजार का अन्तर है ।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से पंकबहुलकाण्ड के ऊपर के चरमान्त के बीच कितना अन्तर है ?