Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति: अवगाहनाद्वार]
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. इसी प्रकार बालुकाप्रभा के प्रथम प्रस्तट में वही अवगाहना है जो दूसरी पृथ्वी के अन्तिम प्रस्तट में हैं-अर्थात् १५ धनुष २ हाथ और १२ अंगुल। इसके बाद प्रत्येक प्रस्तट में ७ हाथ १९॥ अंगुल की वृद्धि कहनी चाहिए। उसका प्रमाण इस प्रकार होगापहले प्रस्तट में १५ धनुष
२ हाथ
१२ अंगुल दूसरे प्रस्तट में १७ धनुष
२ हाथ
७॥ अंगुल तीसरे प्रस्तट में १९ धनुष
२ हाथ
३ अंगुल चौथे प्रस्तट में २१ धनुष
१ हाथ
२२॥ अंगुल पांचवें प्रस्तट में २३ धनुष १हाथ
१८ अंगुल छठे प्रस्तट में २५ धनुष
१हाथ
१३ ॥ अंगुल सातवें प्रस्तट में २७ धनुष
१ हाथ
९ अंगुल आठवें प्रस्तट में २९ धनुष
१ हाथ
४॥ अंगुल नौवें में ३१ धनुष १हाथ
० अंगुल पंकप्रभा में सात प्रस्तट हैं। उनमें से प्रथम प्रस्तट में वही अवगाहना है जो पूर्व की बालुकाप्रभा के नौवें प्रस्तट की है। इसके आगे प्रत्येक में ५ धनुष २० अंगुल की वृद्धि कहनी चाहिए। प्रत्येक प्रस्तट की अवगाहना का प्रमाण इस प्रकार होगापहले प्रस्तट में ३१ धनुष
१ हाथ ३६ धनुष १हाथ
२० अंगुल तीसरे में ४१ धनुष २ हाथ
१६ अंगुल चौथे में ४६ धनुष ३ हाथ
१२ अंगुल पांचवें में ५२ धनुष ० हाथ
८ अंगुल छठे में ५७ धनुष १ हाथ
४ अंगुल सातवें में ६२ धनुष २ हाथ
० अंगुल धूमप्रभा के पांच प्रस्तट हैं। प्रथम प्रस्तट में वही अवगाहना है जो पूर्व की पृथ्वी के अन्तिम प्रस्तट की है। इसके बाद १५ धनुष २॥ हाथ प्रत्येक प्रस्तट में वृद्धि कहनी चाहिए। वह प्रमाण इस प्रकार होगापहले प्रस्तट में ६२ धनुष
२ हाथ दूसरे में
७८ धनुष
१ वितस्ति (बेंत-आधा हाथ) ९३ धनुष
३ हाथ चौथे में १०९ धनुष
१ हाथ वितरित पांचवें में
१२५ धनुष
दूसरे में
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سه
तीसरें में