Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चाहिए ।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में पृथ्वीकायिक आदि के विषय में कई विशिष्ट विषयों का उल्लेख करने लिए पुन: पृथ्वीविषयक प्रश्न किये गये हैं। पृथ्वी के प्रकारों के सम्बन्ध में किये गये प्रश्न के उत्तर में प्रभु ने फरमाया है कि पृथ्वी छह प्रकार की है
१. श्लक्ष्णापृथ्वी- यह मृदु मुलायम मिट्टी का वाचक है। यह चूर्णित आटे के समान मुलायम होती है। २. शुद्धपृथ्वी - पर्वतादि के मध्य में जो मिट्टी है वह शुद्धपृथ्वी है ।
३. बालुकापृथ्वी- बारीक रेत बालुकापृथ्वी है ।
४. मनःशिलापृथ्वी - मैनशिल आदि मनःशिलापृथ्वी है।
५. शर्करापृथ्वी - कंकर, मुरुण्ड आदि शर्करापृथ्वी है।
६. खरपृथ्वी - पाषाण रूप पृथ्वी खरापृथ्वी है।
उक्त छह प्रकार की पृथ्वी का निरूपण करने के पश्चात् उनकी कालस्थिति के विषय में प्रश्न किये गये हैं। उत्तर में कहा गया है कि
[जीवाजीवाभिगमसूत्र
१. श्लक्ष्णपृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष है।
२. शुद्धपृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बारहहज़ार वर्ष है। ३. बालुकापृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट चौदहहजार वर्ष है। ४. मनःशिलापृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सोलहहजार वर्ष है । ५. शर्करापृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अठारहहजार वर्ष है । ६. खरपृथ्वी की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बावीसहजार वर्ष है। १
पृथ्वीस्थिति यन्त्र
जघन्य
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
पृथ्वी का प्रकार
१. श्लक्ष्णपृथ्वी
२. शुद्धपृथ्वी
३.
बालुकापृथ्वी ४. मनःशिला पृथ्वी ५. शर्करापृथ्वी
६. खरपृथ्वी
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
१. सहा य सुद्ध बालुअ मणोसिला सक्करा य खरपुढवी । इग बार चोदस सोलढार बावीस सयसहस्सा ॥ १॥
उत्कृष्ट स्थिति
एक हजार वर्ष
बारहहजार वर्ष
चौदहहजार वर्ष
सोलहहजार वर्ष
अठारहहजार वर्ष बावीसहजार वर्ष
स्थितिनिरूपण का प्रसंग होने से चौबीस दण्डक के क्रम से नैरयिकों आदि की स्थिति के विषय में प्रश्न हैं। ये प्रश्न और उनके उत्तर प्रज्ञापनापद के चतुर्थ स्थितिपद के अनुसार सर्वार्थसिद्ध के देवों तक