Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
२१०]
[जीवाजीवाभिगमसूत्र
हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का घनवातवलय कितनी मोटई वाला है ?
गौतम ! साढ़े चार योजन का मोटा है। शर्कराप्रभा का एक कोस कम पांच योजन का है। इसी प्रकार बालुकाप्रभा का पांच योजन का, पंकप्रभा का एक कोस अधिक पांच योजन का, धूमप्रभा का साढ़े पांच योजन का और तमःस्तम प्रभापृथ्वी का एक कोस कम छह योजन का बाहल्य है, तथा अधःसप्तम पृथ्वी का छह योजन का है।
हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का तनुवातवलय कितनी मोटाई वाला कहा गया है ?
गौतम ! छह कोस की मोटाई का है। इसी प्रकार शर्कराप्रभा का त्रिभागसहित छह कोस, बालुकाप्रभा का त्रिभागन्यून सात कोस, पंकप्रभा का सात कोस, धूमप्रभा का त्रिभागसहित सात कोस का, तमःप्रभा का त्रिभागन्यून आठ कोस और अधःसप्तमपृथ्वी का तनुवातवलय आठ कोस बाहल्य वाला है।
अपान्तराल और बाहल्य का यन्त्र पृथ्वी का नाम अपान्तराल घनोदधिवलय घनवातवलय
तनुवातवलय का प्रमाण का बाहल्य का बाहल्य
का बाहल्य १ रत्नपभा
बारह योजन ६ योजन ४॥ योजन ६ कोस २ शर्कराप्रभा त्रिभाग कम त्रिभागसहित कोस कम ५ . ६), कोस
१३ योजन ६ योजन योजन ३ बालुकाप्रभा १३ योजन त्रिभागन्यून ५ योजन
त्रिभागन्यून . ७ योजन
७ कोस ४ पंकप्रभा १४ योजन ७ योजन १ कोस ५ ७ कोस
योजन ५ धूमप्रभा त्रिभाग कम त्रिभागसहित ५॥ योजन ७), कोस
१५ योजन ७ योजन ६ तमःप्रभा १५ योजन त्रिभागन्यून कोस कम
त्रिभागन्यून ८ योजन ६ योजन ८ कोस ७ तमस्तमःप्रभा १६ योजन ८ योजन ६ योजन ८ कोस
[२] इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलयस्स छ जोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अस्थि दव्वाई वण्णओ काल जाव हंता अत्थि।
सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणोदधिवलयस्स सतिभागछज्जोयण बाहल्लस्स खेत्तच्छेएण छिज्जमाणस्स जाव हंता अत्थि। एवं जाव अधेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं।
इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणवातवलयस्स अद्धपंचम जोयण बाहल्लस्स