Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय प्रतिपत्ति: कायस्थिति (नपुंसकों की संचिट्ठणा)]
[१६५
अन्तर्मुहूर्त
छह मास पूर्वकोटि
चतुरिन्द्रिय नपुंसक सामान्य पंचेन्द्रिय तिर्यंच नपुंसक जलचर , , नपुंसक स्थलचर, खेचर , , नपुंसक
मनुष्य नपुंसकों की स्थिति
जघन्य
अन्तर्मुहूर्त
उत्कृष्ट पूर्वकोटि पूर्वकोटि देशोन पूर्वकोटि पूर्वकोटि देशोन पूर्वकोटि पूर्वकोटि देशोन पूर्वकोटि
मनुष्य नपुंसकों के भेद समुच्चय मनुष्य नपुंसक कर्मभूमि मनुष्य नपुंसक क्षेत्र से
कर्मभूमि मनुष्य नपुंसक धर्माचरण से ४. भरत-एरवत कर्म. म. न. क्षेत्र से
, , धर्माचरण से ६. पूर्वविदेह मनुष्य नपुं. क्षेत्र से
पश्चिमविदेहं मनुष्य नपुं. धर्माचरण से अकर्मभूमि मनुष्य नपुंसक (जन्म से) (केवल संमूर्छिम होते हैं,गर्भज नहीं।
युगलियों में नपुंसक नहीं होते) ९. अकर्मभूमि मनुष्य नपुंसक संहरण से १०. हैमवत हैरण्यवत म. नपुंसक जन्म से
, संहरण से १२. हरिवर्ष रम्यकवर्ष म. नपुंसक जन्म से
" , संहरण से १४. देवकुरु उत्तरकुरु मं नपुंसक जन्म से । १५. , , संहरण से
बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन पूर्वकोटि बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन पूर्वकोटि बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन पूर्वकोटि बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन पूर्वकोटि
इस प्रकार नारक नपुंसक, तिर्यक् नपुंसक और मनुष्य नपुंसकों की स्थिति बताई गई है। कायस्थिति (नपुंसकों की संचिट्ठणा)
५९. [२] णपुंसए णं भंते ! णपुंसए त्ति कालओ केवच्चिरं होइ ?