Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति :चार प्रकार के संसारसमापन्नक जीव]
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की मोटाई १ लाख ८० हजार योजन, शर्कराप्रभा की १ लाख ३२ हजार, बालुकप्रभा की १ लाख २८ हजार, पंकप्रभा की १ लाख २० हजार, धूमप्रभा की १ लाख १८ हजार, तमःप्रभा की १लाख १६ हजार और तमस्तमःप्रभा की मोटाई १ लाख ८ हजार योजन की है।
अब आगे के सूत्र में रत्नप्रभा आदि नरकपृथ्वियों के भेद को लेकर प्रश्नोत्तर हैं६९. इमा णं भंते ! रयणप्पभापढवी कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-खरकंडे, पंकबहुले कंडे, आवबहुले कंडे। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुढवीए खरकंडे कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सोलसविधे पण्णत्ते, तं जहा–१ रयणकंडे, २ वइरे ३ वेरुलिए, ४ लोहितयक्खे, ५ मसारगल्ले, ६ हंसगब्भे,७ पुलए, ८ सोयंधिए, ९ जोतिरसे, १० अंजणे,११ अंजणपुलए, १२ रयए, १३ जातरूवे, १४ अंके, १५ फलिहे, १६ रिटेकंडे।
इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुढवीए रयणकंडे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते। एवं जाव रिटे। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुढवीए पंकबहुले कंडे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते। एवं आवबहुले कंडे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते। सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवी कतिविधा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगागारा पण्णत्ता। एवं जाव अहेसत्तमा। [६९] भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी कितने प्रकार की कही गई है ?
गौतम ! तीन प्रकार की कही गई है, यथा-१.खरकाण्ड, २. पंकबहुलकांड और अप्बहुल (जल की अधिकता वाला) कांड।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का खरकाण्ड कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! सोलह प्रकार का कहा गया है, यथा
१. रत्नकांड, २. वज्रकांड, ३. वैडूर्य, ४. लोहिताक्ष, ५. मसारगल्ल, ६. हंसगर्भ, ७. पुलक, ८. सौगंधिक, ९. ज्योतिरस, १०. अंजन, ११. अंजनपुलक, १२. रजत, १३. जातरूप, १४. अंक, १५. स्फटिक और १६. रिष्ठकांड।
भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का रत्नकाण्ड कितने प्रकार का है ? गौतम ! एक ही प्रकार का है। इसी प्रकार रिष्टकाण्ड तक एकाकार कहना चाहिए। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का पंकबहुलकांड कितने प्रकार का है ? गौतम ! एक ही प्रकार का कहा गया है।