Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
निबंब जंबू जाव पुण्णागणागरुक्खे सीवण्णी तहा असोगे य।
जे यावण्णे तहप्पगारा। एतेसिं णं मूला वि असंखेजजीविया एवं कंदा, खंधा, तया, साला, पवाला, पत्ता पत्तेयजीवा, पुष्पाइं अणेगजीवाइं फला एगट्ठिया, से तं एगट्ठिया।
से किं तं बहुबीया? बहबीया अणेगविधा पण्णत्ता,तं जहा
अत्थिय-तेंदुय-उंबर-कविढे-आमलक-फणस-दाडिम णग्गोध-काउंबरी य तिलयलउय-लोद्धे धवे, जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसिं णं मूला वि असंखेजजीविया जाव फला बहुबीयगा, से तं बहुबीयगा। से तं रुक्खा ।
एवं जहा पण्णवणाए तहा भाणियव्वं, जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं कुहणा। नाणाविधसंठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता। खंधो वि एगजीवो ताल-सरल-नालिएरीणं॥१॥ 'जह सगलसरिसवाणं पत्तेयसरीराणं' गाहा ॥२॥ 'जह वा तिलसक्कुलिया' गाहा ॥३॥ से तं पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया। [२०] प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों का स्वरूप क्या है ? . प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक बारह प्रकार के हैं, जैस-वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग, तृण, वलय, हरित, औषधि, जलरुह और कुहण। वृक्ष किसे कहते हैं ? वृक्ष दो प्रकार के हैं-एक बीज वाले और बहुत बीज वाले। एक बीज वाले कौन हैं ?
एक बीज वाले अनेक प्रकार के हैं, जैसे-नीम, आम, जामुन यावत् पुन्नाग नागवृक्ष, श्रीपर्णी तथा अशोक तथा और भी इसी प्रकार के अन्य वृक्ष। इनके मूल असंख्यात जीव वाले हैं, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्ते ये प्रत्येक एक-एक जीव वाले हैं, इनके फूल अनेक जीव वाले हैं, फल एक बीज वाले हैं। यह एक बीज वाले वृक्षों का वर्णन हुआ।
बहुबीज वृक्ष कौन से हैं ?
बहुबीज वृक्ष अनेक प्रकार के हैं, जैसे-अस्तिक, तेंदुक, उम्बर, कबीठ, आंवला, पनस, दाडिम, न्यग्रोध, कादुम्बर, तिलक, लकुच (लवक), लोध्र, धव और अन्य भी इसी प्रकार के वृक्ष। इनके मूल असंख्यात जीव वाले यावत् फल बहुबीज वाले हैं। यह बहुबीजक का वर्णन हुआ। इसके साथ ही वृक्ष का वर्णन हुआ। इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना में कहा वैसा यहाँ कहना चाहिए, यावत्-'इस प्रकार के अन्य भी' से लेकर 'कुहण' तक।
गाथार्थ-वृक्षों के संस्थान नाना प्रकार के हैं। ताल, सरल और नारीकेल वृक्षों के पत्ते और स्कंध