Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय प्रतिपत्ति: स्त्रियों का वर्णन]
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[३] देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? देवस्त्रियां चार प्रकार की हैं, यथा१. भवनपतिदेवस्त्रियां, २. वानव्यन्तरदेवस्त्रियां, ३. ज्योतिष्कदेवस्त्रियां और ४. वैमानिकदेवस्त्रियां। भवनपतिदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? भवनपतिदेवस्त्रियां दस प्रकार की हैं, यथा
असुरकुमार-भवनवासी-देवस्त्रियां यावत् स्तनितकुमार-भवनवासी-देवस्त्रियां। यह भवनवासी देवस्त्रियों का वर्णन हुआ।
वानव्यन्तरदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? वानव्यन्तरदेवस्त्रियां आठ प्रकार की हैं, यथा
पिशाचवानव्यन्तरदेवस्त्रियां यावत् गन्धर्ववानव्यन्तरदेवस्त्रियां। यह वानव्यन्तरदेवस्त्रियों का वर्णन हुआ।
ज्योतिष्कदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? . ज्योतिष्कदेवस्त्रियां पांच प्रकार की हैं, यथा
चन्द्रविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, सूर्यविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, ग्रहविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, नक्षत्रविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां और ताराविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां। यह ज्योतिष्क देवस्त्रियों का वर्णन हुआ।
वैमानिक देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? वैमानिक देवस्त्रियां दो प्रकार की हैं, यथा
सौधर्मकल्प-वैमानिक देवस्त्रियां और ईशानकल्प-वैमानिक देवस्त्रियां। यह वैमानिक देवस्त्रियों का वर्णन हुआ।
विवेचन-प्रस्तुत सूत्र में स्त्रियों का वर्णन किया गया हैं। चार गतियों में से नरकगति में स्त्रियां नहीं हैं क्योंकि नारक केवल नपुंसकवेद वाले ही होते हैं। अतएव शेष तीन गतियों में-तिर्यंच, मनुष्य और देवगति में स्त्रियां हैं। इसलिए सूत्र में कहा गया है कि तीन प्रकार की स्त्रियां हैं-तिर्यचस्त्री, मनुष्यस्त्री और देवस्त्री। तिर्यंचगति में भी एकेन्द्रिय से चतुरिन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय तथा सम्मूर्छिम जन्म वाले नपुंसकवेदी होते हैं। अतएव गर्भजतिर्यंचों, गर्भजमनुष्यों में और देवों में स्त्रियां होती हैं। इसलिए स्त्रियों के तीन प्रकार कहे गये हैं। तिर्यचस्त्रियों के तीन भेद हैं, जलचरी, स्थलचरी, और खेचरी। तिर्यंचों के अवान्तर भेद के अनुसार इनकी स्त्रियों के भी भेद जानने चाहिए। इसी तरह मनुष्यस्त्रियों के भी कर्मभूमिजा, अकर्मभूमिजा और अन्तीपिजा भेद है। मनुष्यों के अवान्तर भेदों के अनुसार इनकी स्त्रियों के भी भेद समझने चाहिए। जैसे कर्मभूमिजा स्त्रियों के १५, अकर्मभूमिजा स्त्रियों के ३० और अन्तर्वीपिजाओं के २८ भेद समझने चाहिए। भवनपति, वानव्यन्तर और ज्योतिष्क देवों के भेद के अनुसार ही इनकी स्त्रियों के भेद समझने चाहिए।