Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम प्रतिपत्ति: पृथ्वीकाय का वर्णन ]
[२५
[५] भगवन् ! उन जीवों के कषाय कितने कहे गये हैं ? गौतम ! चार कषाय कहे गये हैं। जैसे कि क्रोधकषाय, मानकषाय, मायाकषाय और लोभकषाय। [६] तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति सण्णा पण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि सण्णा पण्णत्ता, तं जहा-आहारसण्णा जाव परिग्गहसण्णा। [६] भगवन् ! उन जीवों के कितनी संज्ञाएँ कही गई हैं ? गौतम ! चार संज्ञाएँ कही गई हैं, यथा-आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा। [७] तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति लेसाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! तिन्नि लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-किण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा। [७] भगवन् ! उन जीवों के लेश्याएँ कितनी कही गई हैं ? गौतम ! तीन लेश्याएं कही गई हैं। यथा-कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या। '[८] तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति इंदियाइं पण्णत्ताइं? गोयमा ! एगे फासिंदिए पण्णत्ते। [८] भगवन् ! उन जीवों के कितनी इन्द्रियाँ कही गई हैं ? गौतम ! एक स्पर्शनेन्द्रिय कही गई है। [९] तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पण्णत्ता?
गोयमा! तओ समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा-१. वेयणासमुग्याए, २. कसायसमुग्याए, ३. मारणंतियसमुग्याए।
[९] भगवन् ! उन जीवों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ?
गौतम! तीन समुद्घात कहे गये है। जैसे कि-१. वेदना-समुद्घात, २. कषाय-समुद्घात और ३. मारणांतिक-समुद्घात।
[१०] ते णं भंते! जीवा किं सन्नी असन्नी ? गोयमा! नो सन्नी, असन्नी। [१०] भगवन्! वे जीव संज्ञी हैं या असंज्ञी ?. गौतम! संज्ञी नहीं हैं, असंज्ञी हैं । [११] ते णं भंते! जीवा किं इत्थिवेया, पुरिसवेया, णपुंसगवेया ? गोयमा! णो इत्थिवेया, णो पुरिसवेया, णपुंसगवेया। [११] भगवन् ! वे जीव क्या स्त्रीवेद वाले हैं, पुरुषवेद वाले हैं या नपुंसकवेद वाले हैं ? गौतम! वे स्त्रीवेद वाले नहीं हैं, पुरुषवेद वाले नहीं हैं, नपुंसकवेद वाले हैं । [१२] तेसिं णं भंते! जीवाणं कति पजत्तीओ पण्णत्ताओ ?