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________________ १२ ] इस प्रकार अजीवभिगम का निरूपण पूरा हुआ । जीवाभिगम का स्वरूप और प्रकार ६. से किं तं जीवाभिगमे ? जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - संसारसमावण्णग-जीवाभिगमे य असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे य । [६] जीवाभिगम क्या है ? जीवाभिगम दो प्रकार का कहा गया है, जैसे- संसारसमापन्नक जीवाभिगम और असंसारसमापन्नक जीवाभिगम । [जीवाजीवाभिगमसूत्र ७. से किं तं असंसारसमावण्णग- जीवभिगमे ? असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमे य । से किं तं अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवभिगमे ? अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णग जीवाभिगमें पण्णरसविहे पण्णत्ते, तं जहा - तित्थसिद्धा जाव अणेगसिद्धा । सेतं अतरसिद्धा' | से किं तं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे ? परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग-जीवाभिगमे अणेगविहे पण्णत्ते तं जहा- पढमसमयसिद्धा, दुसमयसिद्धा जाव अनंतसमयसिद्धा । सेतं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे । सेतं असंसारसमावण्णग- जीवाभिगमे । [७] असंसार- प्राप्त जीवाभिगम क्या है ? . असंसारप्राप्त - जीवाभिगम दो प्रकार का है, यथा - अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम और परंपरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम । अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त - जीवाभिगम कितने प्रकार का कहा गया है ? अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त - जीवाभिगम पन्द्रह प्रकार का कहा गया है, यथा-तीर्थसिद्ध यावत् अनेकसिद्ध । यह अनन्तरसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम का कथन हुआ । परम्परसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम क्या है । परम्परसिद्ध असंसारप्राप्त जीवाभिगम अनेक प्रकार का कहा गया है । यथा - प्रथमसमयसिद्ध, द्वितीयसमयसिद्ध यावत् अनन्तसमयसिद्ध ।
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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