Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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षष्टमांग ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कन्ध
AR, अमर, कुंजर, वलय, उमलय, भाषिर्च सुचित वर परत देसभाग,अम्भितरियं जवणियं अच्छावेइ २ ता अत्थरएमसुरच्छइयं धवलवत्थं पव्वत्थुयं विसिटुं अंग सुहफायं मउयं धारणीएदेवीए भद्दासणं रयावेइ २ ता कोडुबिय पुरिसे महावेइ २ ता एवं वयासी-खिप्पामेव भोदेवाणुप्पिया ! अटुंग महानिमित तत्थ
पाढाए विविहसस्थकुसले सुमिणपाढए सहावेइ २ ता, एवमणंतियं खिप्पामेव १२ मृग, २ वृषभ, ४ तुरग, ५ मनुष्य, ६ नगर, मगर, ८पक्षी, ९ व्याल-सर्प,१०किमर, ११. रुरु-वनचर १० अष्टापद, १३ चमरी गाय, १४ कुंजर [ हाथी ] १५ वनलता, १६ अशोक लता १७ पचलता व कपलिनी ऐसे विविध प्रकार के अनेक चित्रों से चित्रित, और अच्छे उत्तम सुवर्ण तार से बनाया ना था ऐसा पडदा. बांध कर उस की अंदर धारणी देवी को बैठने के लिये श्वेत वस्त्र से आच्छादित शरीर को । मुखकारी ऐपा एक भद्रासन विछवाया. फीर कौटुम्भिक पुरुषों को बोलाकर ऐसा बोले. अहो देवानुप्रिय ! अष्टांग महानिमित्त के विविध प्रकार के शास्त्रों में कुशल ऐसे स्वप्न पाठकों को बोलावो. और मुझे मेरी
१ भूमीकम्प, २ उत्पात, ३ स्पप्न, ४ आकाशवती, ५ अंगस्फूर्ण, ६ स्वर, ७ व्यंजन, और ८ लक्षण. यह निमित्त शास्त्र के ८ अंग हैं.
* उत्क्षिप्त (मेघकुमार ) का प्रथम अध्ययन 4287
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