Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीमत्र नानाकारोपयोगः केवळदर्शनानाकारोपयोगः इत्योधुपयोगविषयकं प्रज्ञापनाप्रकरणम् । 'पासणयापदं च निरवसेसं नेयव्वं' एवं पश्यतापदं च प्रज्ञापना मूत्रस्थं विश्वशेषं नेतव्यम् पश्यतापदं प्रज्ञापनास्थमिह सर्वमपि पठितव्यम् तच्च प्रज्ञाप. नायां त्रिंशत्तमं पदम् तच्चैवम् 'कहिविहा पं भंते ! पासणया पण्णत्ता' कतिविधा खलु भदन्त ! पश्यता पज्ञष्ला । 'गोयमा ! दुविहा पासणया पण्णत्ता' गौतम ! द्विविधा पश्यता प्रज्ञा पश्यताविशिष्टबोधपरिणामरूपा, सा च द्विविधा तामेव दर्शयति 'तं जहा' तथा 'सागारपासणया अणागारपासणया' साकार पश्यता अनाकारपश्यता च 'सागारपासणया णं भंते ! काविहा पण्णता' साकारपश्यता खलु भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता 'गोयमा ! छबिहा पन्नत्ता' गौतम ! षविधा प्रज्ञप्ता 'तं जहा' तद्यथा 'सुयणाणसागारपासणया' श्रुवज्ञान रोवोगे' से। यह प्रज्ञापना सूत्र का पाठ जो कि उपयोग के विषय में कहा गया है यहां पर भी इसी प्रकार से कह लेना चाहिये । इस पाठ का अर्थ सरल है। 'पासणयापदं च निरवसेसं नेयव्यं' प्रज्ञापनास्थ पश्यतापद यहां सम्पूर्ण रूप से ग्रहण करना चाहिये ऐप्ता जे। कहा गया है-सो प्रज्ञापना में यह पद (तीस) ३० वा पद है-जो इस प्रकार से है'काविहाणं भंते ! पासणया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पासणया पण्णत्ता' पश्यता (देखनारूप) यह विशिष्ट बोध के परिणाम रूप होती है। यह पश्यत्ता दे। प्रकार की कही गई है-'सागारपासणया, अणागारपासणया' एक साकार पश्यता, दुसरा अनाकार पश्यता' सागा. रपाप्तणया णं भंते ! काविहा पण्णता?' हे भदन्त ! साकार पश्यता कितने प्रकार की कही गई है ? 'गेायमा! छविहा पण्णत्ता' हे गौतम साकार पश्यता ६ प्रकार की कही गई । 'तं जहा' जो इस प्रकार से अणागारोव भोगे' उपयोगना विषयमा प्रज्ञापन सूत्रमा मा ५४ यो छ. ते मडिया ५ ते शते समल al. 'पासणया पदच निरवसेस नेयध्वम्' અહિયાં પ્રજ્ઞાપતામાં રહેલ ત્રીસમું પશ્યતાપદ સંપૂર્ણ રૂપે ગ્રહણ કરવું. તે ५४ मा प्रभारी छे. 'कइविहेणं भंते ! पाम्रणया पण्णत्ता गोयमा ! दुविहा पास णया पण्णत्त' ५२यता (ना३५) शिमोधन परिणाम ३५ हाय छे. या ५श्यता ये ४२ ४डी छ. ते रीते छ. 'सागारपासणया, अणागारपासण ग' से सा२ ५५यता भने श्री सना॥२ ५श्यता, 'सागारपास. णयाणं भते ! कइविहा पण्णत्ता' 8 मवन् ! सा॥२ ५श्यता 2 रन उवाम मावी छ. 'गोयमा ! छव्विहा पण्णत्ता' गौतम ! सा२ ५श्यता ७ मारनी ४ामा मापी छ. 'त-जहा' त म प्रमाण छ. 'सूयणाण
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૨