Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे टोका-'परमाणुपोग्गले णं भंते !' परमाणुपुद्गलः खल्लु भदन्त ! 'लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' लोकस्य पौरस्त्यात् चरमान्तात् 'पञ्चत्थिमिल्लं चरिमंत' पाश्चात्यम् चरमान्तम् , 'एगसमएणं गच्छइ' एकसमयेन गच्छति किम् एवं 'पञ्चस्थिमिल्लाभी चरिमंताओ' पाश्चात्यात् चरमात्तात् 'पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छई' पौरस्त्यं चरमान्तमेकसमयेन गच्छति एवम् 'दाहिजिल्लाभो चरिमंताभो उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ' दाक्षिणात्यात् चर'परमाणु पोग्गलेणं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' इत्यादि ____टीकार्थ-चरमाधिकार होने से ही गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है कि-'परमाणुपोग्गले णं भंते !' हे भदन्त ! परमाणुपुद्गल 'लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' लोक के पूर्वचरमान्त से 'पचस्थिमिल्लंचरिमंत' पश्चिमचरमान्ततक 'एगसमएणं गच्छई' एक समय में चला जाता है क्या ? इसी प्रकार से वह परमाणुपुद्गल 'पच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ' पाश्चात्यचरमान्त से 'पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छई' पौरस्त्यचरमान्ततक एक समय में चला जाता है क्या ? इसी प्रकार से परमाणु पुद्गल 'दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंत एगसमएण गच्छई' दाक्षिणात्य चरमान्त से उत्तरचरमान्त तक एक समय में चला जाता है क्या? 'उत्तरिल्लाओ चरमंताओ दाहिणिल्लंचरि
"परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ"-इत्यादि
ટીકાર્થ-ચરમાધિકાર હોવાથી જ ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને એ પ્રમાણે ५७यु छ । “परमाणुपोग्गले ण भंते !'' डे लान् ५२मा Ya "लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' न पू य२मiतथी “पच्चस्थिमिल्लं चरिमंतं" पश्चिम २२भान्त सुधी “एगसमएणं गच्छई" शुमे समयमा तय छ ? भने से शत पुस ५२मा “पच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ" पश्चिमना A२मा-तथी "पुरथिमिलं चरिमंतं एगसमए णं गच्छइ” पूना य२मान्त सुधी से समयमा शु तय छ १ ४ रीते मे पुर्य ५२मा "दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छई” दक्षिण दिशान! य२मान्तथी उत्तर हिना २२मान्त सुधी ४ समयमा न्याय य छ? "उत्तरिल्लाओ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨