Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 665
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१८ उ०३ सू०१ पृथ्वीकायादीनामन्तक्रियानिरूपणम् ६५१ खलु काउलेस्से वणस्तइकाइए जाव अंतं करेइ। तए णं समणा णिगंथा मागंदियपुत्तस्स अणगारस्स, एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहति ३ एयमद्रं असदहमाणा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवा. गच्छित्तासमणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदित्तानमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु भंते! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एवमाइक्खइ भासेइ पन्नवेइ परूवेइ एवं खलु अजो! काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ, एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउ. काइए जाव अंतं करेइ एवं वणस्सइकाइए वि जाव अंतं करेइ से कहमेयं भंते ! एवं ? अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणे णिग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासी जपणं अजो? मगंदियपुत्ते अणगारे तुन्भे एवं आइक्खइ भासइ पन्नवेइ परूवेइ एवं खलु अजो! काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ एवं खलु अजो! काउलस्ले आउकाइए जाव अंतं करेई एवं खलु अजो! काउलेस्ले वणस्सइकाइए वि जाव अंतं करेइ, सच्चेणं एसमद्वे अहंपिणं अज्जो! एवमाइक्खामि ४ एवं खलु अजो ! कण्हलेस्से पुढवीकाइए कण्हलेस्सहिंतो पुढवीकाइए हिंतो जाव अंतं करेइ एवं खलु अजो ! नीललेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ एवं काउलेस्सेवि जइ पुढवीकाइए एवं आउक्काइए वि, एवं वणस्सइकाइए वि, सच्चे णं एसमटुं, सेवं भंते ! सेवं भंते! ति समणा निग्गंथा समणं भगवं महावीरं वंदंति, नमसति, वंदित्ता, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨

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