Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 664
________________ भगवतीस्त्रे अथ तृतीयोद्देशकः भारभ्यतेद्वितीयोदेश के कार्तिकाऽनगारस्यान्तक्रिया, कथिता तृतीयोद्देशके पृथिव्या. देरन्तक्रियोच्यते इत्येवं सम्बन्धेन आयातस्य तृतीयोद्देशकस्येदमादिम सूत्रम्'तेणं कालेणं' इत्यादि। मूलम्-"तेणंकालेणं तेणं समएणरायगिहे नयरे होत्था, वन्नओ गुणसिलए चेइए वन्नओ, जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी मागंदियपुत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जहा मंडियपुत्ते जाव पज्जुवासमाणे एवं क्यासी। से पूर्ण भंते! काउलेस्से पुढवीकाइए काउलेस्सहिंतो पुढवीकाइएहितो अणंतरं उत्तिा माणुसं विग्गहं लभइ लभित्ता केवलं बोहिं बुग्झइ, बुज्झित्ता, तओ पच्छा सिज्झइ, जाव अंतं करेइ ? हंता मागंदियपुत्ता काउलेस्से पुढवीकाइए जाव अंतं करेइ। से पूर्ण भंते! काउलेस्से आउकाइए काउलेस्सेहितो आउकाइएहितो अणंतरं उवट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभइ, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झइ, जाव अंतं करेइ ? हंता मागंदियपुत्ता, जाव अंतं करेइ। से पूर्ण भंते ! काउलेस्से वणस्सइकाइए एवं चेव जाव अंतं करेइ, सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति मागंदियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव समणे णिग्गंथे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणे जिग्गंथे एवं वयासी, एवं खलु अजो! काउलेस्से पुढवीकाइए तहेव जाव अंतं करेइ ? एवं खलु अनो! काउलेस्से आउक्काइए जाव अंतं करेइ, एवं શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨

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