Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 646
________________ ६३२ E भगवतीसूत्रे तुष्ट चित्ता नन्दितः भीतिमनाः परमसौमनस्यितो हर्षवशविसर्पहृदयो मुनिसुव्रतम् अर्हन्तं वन्दते नमस्यति वन्दित्वा नमस्यित्वा मुनिसुव्रतस्याहतोऽन्तिकात् सहस्राम्रवनादुद्यानात् इत्यन्तस्य प्रकरणस्य ग्रहणं भवति । 'पडिणिक्वमित्ता प्रतिनिष्क्रम्य 'जेणेव हथिणापुरे नयरे' यत्रैव हस्तिनापुर नगरम् 'जेणेव सए गिहे' यत्रैव स्वकं गृहम् 'तेणेव उनागच्छई तत्रैव उपागच्छति 'उवागच्छिता' उपागत्य 'णेगमसहस्सं सद्दावेई' नैगमाष्टसहस्रकं शब्दयति 'सदायित्ता' शब्दयित्वा आहूय 'एवं वयासी' एवमवादीत् एवं वक्ष्यमाणपकारेणोक्तवान्, 'एवं खलु देवाणुप्पिया' एवं खल्लु हे देवानुपियाः ! 'मए मुणिसुब्धयस्स पाहओ अतिए धम्मे निसंते' मया मुनिसुव्रत नमंसित्ता मुणिमुत्रधरस अंतियानो सहसंबवणाभो उजाणाओ' इस पाठका संग्रह हुआ है। इस प्रकार मुनिसुव्रत अर्हन्त के पास से उठ. कर उस सहस्राम्रवन से बाहर निकले हुए वे कातिक सेठ 'जेणेव हस्थिणापुरे नयरे' जहां पर हस्तिनापुर नगर था। 'जेणेव सए गिहे और उसमें भी जहां पर अपना गृह था। तेणेव उवागच्छह' वहाँ पर आये 'उवागच्छित्तो नेगमसहस्सं सद्दावेई' वहां आकर के उन्होंने १००८ वणिरजनों को बुलाया। 'सद्दावित्ता एवं वयासी' बुलाकर उनसे ऐसा कहा 'एवं खलु देवाणुप्पिया! मए मुणिसुन्वयम्स अरहओ भतिए धम्मे निसंते' हे देवानुप्रियो ! मैने मुनिसुव्रत अर्हन्त के पास सहसंबवणाओ उज्जाणाओ" मे ५४ने! सब थयो छे. तेन म मा પ્રમાણે છે. મુનિસુવ્રત ભગવાને આ પ્રમાણે કહ્યું ત્યારે તેના મનમાં અત્યંત આનંદ થયે હર્ષ અને સંતોષ થયો. મનમાં પ્રેમ છવાઈ ગયો, અત્યંત અનુરાગથી તેનું મન ભરાઈ ગયું અપાર હર્ષથી તેનું હૃદય ઉછળવા લાગ્યું તે પછી તેણે મુનિસુવ્રત ભગવાનને વંદના કરી નમસ્કાર કર્યા વંદના નમસ્કાર કરીને મુનિસુવ્રત ભગવાન પાસેથી ઉઠીને સહસ્ત્રાપ્રવન ઉદ્યાનથી બહાર નીકળ્યો. આ રીતે તે કાર્તિક શેઠ મુનિ સુવ્રત અહંત પાસેથી हीये ते सहसा माथी मा२ नये, मा२ नीजान "जेणेव हत्थिणापुरे नयरे" या स्तिनापुर नगर तु. भने “जेणेव सएगिहे" तमा यो पातानु घर हेतु.. "तेणेव उवागच्छइ" या ते माव्या. "उवागच्छित्ता नेगमद्वसहस्सं सहावेइ" त्या भावाने तो मे १२ 218 पण बनाने लाय! "सहावित्ता एवं वयासी" मातावाने माने तो भा प्रभारी खु. “एवं खलु देवाणुप्पिया मए मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतिए पम्मे निसंते" है हेवानुप्रिया में मुनिसुव्रत मतना पासेथी माना શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨

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